Sunday, June 23, 2019

CHAPTER 1.2    विश्वास करें कि आप       सफल हो सकते हैं और आप हो जाएँगे

       कुछ ही समय बाद हम एक रेस्तराँ में बैठे हुए थे।

     मेरा एक व्यक्तिगत अनुभव है,” उसने शुरू किया, “जो आपकी इस शाम की चर्चा से संबंधित था, जिसमें आपने कहा था कि आप किस तरह अपने दिमाग को अपना सहयोगी बनाएँ, न कि अपना विरोधी  मैंने आज तक यह किसी को नहीं बताया है कि मैंने किस तरह अपने आपको औसत लोगों की दुनिया से ऊपर उठाया है, परंतु मैं आपको यह बताना चाहता हूँ।”

          "और मैं यह सुनना चाहूँगा,” मैंने कहा।

      " आज से पाँच साल पहले मैं भी औरों की ही तरह था- मेरी जिंदगी घिसट भर रही थी। मेरी कमाई औसत थी। परंतु यह आदर्श नहीं थी। हमारा घर बहुत छोटा था और हमारे पास अपनी मनचाही चीज़ों को खरीदने के लिए पैसे नहीं रहते थे। मेरी पत्नी, भगवान उसका भला करे, इस बात की शिकायत नहीं करती थी, परंतु उसके चेहरे पर यह साफ़ लिखा हुआ था कि उसने भाग्य के सामने हार मान ली है और वह सचमुच खुश नहीं है। अपने अंदर मैं बहुत असंतुष्ट महसूस कर रहा था। जब मैंने देखा कि मैं किस तरह अपनी अच्छी पत्नी और दो बच्चों को आदर्श जीवनशैली नहीं दे पा रहा हूँ, तो मुझे अंदर से बहुत चोट पहुँची।"

     "परंतु आज सब कुछ बदल गया है," मेरे दोस्त ने कहा। आज हम दो एकड़ के प्लॉट पर बने अपने सुंदर नए घर में रहते हैं, जो यह से दो सौ मील दूर है। आज हमें इस बात की चिंता नहीं है कि हम अपने बच्चों को अच्छे कॉलेज में भेज पाएँगे या नहीं। आज मेरी पत्नी जब ना कपड़े खरीदती है तो उसे यह नहीं लगता, जैसे उसने कोई गनाहरू दिया है। अगली गर्मियों में हम लोग एक महीने की छुट्टियाँ मनाने यो जा रहे हैं। हम सचमुच जिंदगी का आनंद ले रहे हैं।”

             "ऐसा कैसे हुआ?” मैंने पूछा।

          उसका जवाब था, “आपने आज रात एक बात कही थी, अपने विश्वास की शक्ति का दोहन करें।' मैंने वही किया और परिणाम आपके सामने है। पाँच साल पहले मैंने डेट्रॉइट की एक टूल-एंड डाई कंपनी के बारे में सुना। हम उस वक्त क्लीवलैंड में रह रहे थे। मैंने फैसला किया कि कोशिश करने में हर्ज़ ही क्या है, शायद यहाँ थोड़ी ज्यादा तनख्वाह मिल जाए। मैं यहाँ रविवार की शाम को ही आ गया, जबकि इंटरव्यू सोमवार को था।

        “डिनर के बाद मैं अपने होटल के कमरे में बैठा हुआ था और न जाने क्यों, मैं खुद को कोसने लगा, ‘आखिर क्यों,' मैंने खुद से पूछा, ‘आख़िर क्यों, मैं एक असफल आदमी की तरह मिडिल क्लास के दलदल में फंसा हुआ हैं ? आखिर क्यों थोड़ी ज्यादा तनख्वाह के लिए मैं यह नौकरी हासिल करने की कोशिश कर रहा हूँ ?'

     "मैं आज तक यह नहीं जान पाया कि मैंने ऐसा क्यों किया, परंतु इसके बाद मैंने होटल का नोटपैड लिया। नोटपैड में मैंने अपने से ज्यादा सफल पाँच लोगों के नाम लिखे, जिन्हें मैं वर्षों से जानता था और जिनकी आमदनी और नौकरी मुझसे काफ़ी बेहतर थीं। दो तो मेरे पुराने पड़ोसी थे जो अब एक पॉश कॉलोनी में रहते थे। दो लोगों के लिए मैं पहले काम किया करता था और एक मेरा रिश्तेदार था।

     “इसके बाद मैंने खुद से पूछा कि मेरे इन पाँच दोस्तों में ऐसा क्या था जो मुझमें नहीं था। मैंने अपनी और उनकी बुद्धि की तुलना की और ईमानदारी से विश्लेषण करने पर यह पाया कि जहाँ तक बुद्धि का सवाल था, वे मुझसे बेहतर नहीं थे। न ही वे मुझसे शिक्षा, चरित्र या व्यक्तिगत आदतों में बेहतर थे।

      " आख़िरकार मैं सफलता के एक ऐसे गुण पर आया, जिसके बारे में काफ़ी चर्चा होती है। पहल करना। मुझे यह मानने में काफ़ी दिक्क़त हुई, पर इसे मानने के सिवा कोई चारा नहीं था। इस मामले में मेरा रिकॉर्ड उनकी तुलना में काफ़ी नीचे था।

       “यह सब सोचते-सोचते सुबह के 4 बज गए, परंतु मेरा दिमाग बिलकुल स्पष्ट सोच रहा था। जीवन में पहली बार मैं अपनी कमज़ोरी को देख पाया था। मैंने पाया कि इसी चीज़ के कारण मैं जीवन में इतना पीछे रह गया था। मैंने हमेशा सहारे के लिए अपने साथ एक छोटी छड़ी रखी थी। मैं अपने अंदर जितनी गहराई तक गया, मैंने पाया कि मैं इसलिए पहल नहीं करता था, क्योंकि मुझे अंदर से यह विश्वास नहीं था कि मैं ऐसा कर सकता था, कि मैं सचमुच इस क़ाबिल हूँ।

         “पूरी रात मैं यही सोचता रहा कि आत्मविश्वास की कमी के कारण ही मैंने अपने मस्तिष्क को अपना विरोधी बना लिया था। मैंने पाया कि मैं खुद को यही बताता था कि मैं आगे क्यों नहीं बढ़ सकता, जबकि मुझे खुद को यह बताना चाहिए था कि मुझे आगे क्यों बढ़ना चाहिए। मैं अपने आपको सस्ते में बेच रहा था। अपनी नज़रों में गिरा होने के कारण ही मैं लोगों की नज़रों में भी गिरा हुआ था। यह मेरी हर बात में स्पष्ट रूप से दिख रहा था। तभी मुझे यह समझ में आया कि जब तक मैं खुद में विश्वास नहीं करूंगा, तब तक कोई दूसरा भी मुझ पर विश्वास नहीं करेगा।

      “उसी समय मैंने फैसला किया, ‘अब सेकंड क्लास की जिंदगी खत्म। आगे से मैं खुद को सस्ते में नहीं बेचूंगा।'

        “अगली सुबह भी मुझ में वही आत्मविश्वास था। नौकरी के उस इंटरव्यू में मेरे विश्वास का पहला इम्तहान हुआ। इंटरव्यू के लिए अपने घर से चलते समय मैंने सोचा था कि मैं हिम्मत करके अपनी वर्तमान नौकरी से 750 या 1000 डॉलर ज्यादा माँग लँगा। परंतु अब, जब मैं जान गया था कि मैं एक योग्य आदमी था, मैंने 3500 डॉलर ज्यादा माँगे। और यह मुझे मिले भी। मैं खुद को महंगे दाम में इसलिए वेच पाया. क्योंकि एक रात तक चले लंबे आत्म-विश्लेषण के बाद में यह जान गया। था कि मुझ में ऐसे गुण हैं जिन्हें महंगे दामों पर बेचा जा सकता है।

       "दो साल में ही मैंने अपनी प्रतिष्ठा एक सफल बिज़नेसमैन के रूप में बना ली। सभी जान गए कि यह आदमी बिज़नेस ला सकता है। फिर मंदी का दौर आया। इस दौर में मैं और भी ज्यादा मूल्यवान बन गया। क्योंकि मुझ में अपनी इंडस्ट्री में सबसे अच्छा बिज़नेस हासिल करने की काबिलियत थी। कंपनी का पुनर्गठन हुआ और मुझे बहुत ज्यादा तनख्वाह मिलने लगी और इसके अलावा मुझे कंपनी के काफ़ी सारे शेयर भी मिले।”

      अपने आपमें विश्वास करें और आपके साथ अच्छी घटनाएँ होने लगेंगी।

आपका दिमाग “विचारों की फैक्टरी" है। यह एक व्यस्त फैक्टरी है, जो एक दिन में अनगिनत विचारों का उत्पादन करती है।

           आपके विचारों की इस फैक्टरी में उत्पादन के इन्चार्ज दो फ़ोरमैन हैं, जिनमें से एक को हम मिस्टर विजय और दूसरे को मिस्टर पराजय का नाम देंगे। मिस्टर विजय सकारात्मक विचारों के निर्माण के इन्चार्ज हैं। उनकी विशेषज्ञता इस तरह के कारण देने में है कि आप क्यों सफल हो सकते हैं, आपमें इस काम की काबिलियत क्यों है, और आप इसमें क्यों सफल होंगे।

         दूसरा फ़ोरमैन मिस्टर पराजय नकारात्मक, कमतरी के विचारों को उत्पादन करता है। यह फ़ोरमैन इस तरह के कारण ढूँढने में महारत रखता है कि आप कोई काम क्यों नहीं कर सकते, कि आप क्यों कमज़ोर हैं, कि आप क्यों अक्षम हैं। उसकी विशेषज्ञता इस तरह के
विचारों की श्रृंखला ढूँढ़ने में है कि “आप क्यों असफल हो जाएँगे ?”

          मिस्टर विजय और मिस्टर पराजय दोनों ही बेहद आज्ञाकारी होते हैं। वे तत्काल आपकी बात पर ध्यान देते हैं। आपको दोनों में से किसी भी फ़ोरमैन को मानसिक रूप से संकेत भर देना होता है। अगर संकेत सकारात्मक होता है तो मिस्टर विजय आगे आ जाएँगे और काम में जुट जाएँगे। इसी तरह नकारात्मक संकेत देखते ही मिस्टर पराजय सक्रिय हो जाएँगे।

        दोनों फ़ोरमैन आपके लिए किस तरह काम करते हैं, इसे स्वयंआज़माकर देखें। अपने आपसे कहें, “आज तो बड़ा ही बुरा दिन है।”इससे मिस्टर पराजय हरकत में आ जाएँगे और वे आपको सही साबित करने के लिए कुछ तथ्यों का उत्पादन कर देंगे। वे आपको यह सुझाव देंगे कि मौसम ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडा है, आज बिज़नेस बुरा रहेगा,बिक्री कम होगी, दूसरे लोग चिड़चिड़े रहेंगे, आप बीमार पड़ सकते हैं, आपकी पत्नी आज बात का बतंगड़ बना देगी। मिस्टर पराजय बेहद सक्षम होते हैं। वे कुछ ही मिनटों में आपको पूरी तरह विश्वास दिला देते हैं कि आज का दिन सचमुच बहुत बुरा है। और आपका दिन सचमुच बुरा साबित होता है।

          परंतु अपने आपसे कहें, “आज कितना बढ़िया दिन है।" और तत्काल मिस्टर विजय सक्रिय हो जाते हैं। वे आपको बताते हैं, “आज शानदार दिन है। खुशगवार मौसम है। कितना सुखद जीवन है। आज आप जो भी काम करेंगे बढ़िया करेंगे और आप उसमें निश्चित रूप से
सफल होंगे।” और आपका वह दिन सचमुच बहुत अच्छा गुज़रता है।

       इसी तरह से मिस्टर पराजय आपको यह बताते हैं कि आप मिस्टरस्मिथ को माल क्यों नहीं बेच सकते, जबकि मिस्टर विजय आपको बताते हैं कि आप मिस्टर स्मिथ को माल किस तरह बेच सकते हैं। मिस्टर पराजय आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि आप असफल हो जाएँगे, जबकि मिस्टर विजय आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि आप क्यों सफल होंगे। मिस्टर पराजय टॉम को नापसंद करने के कई कारण गिना देंगे, जबकि मिस्टर विजय टॉम को पसंद करने के कई कारण गिना देंगे।

         आप इन दोनों फ़ोरमैनों में से जिसे ज़्यादा काम देंगे, वह उतना ही ताक़तवर बनता जाएगा। अगर मिस्टर पराजय को ज्यादा काम दिया जाएगा तो वह अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ा लेगा और आपके दिमाग़ की ज्यादा जगह पर क़ब्ज़ा कर लेगा। एक दिन ऐसा आएगा जब वह आपके दिमाग के विचारों का पूरा उत्पादन अपने हाथ में ले लेगा और इसके बाद आपकी मानसिकता पूरी तरह नकारात्मक हो जाएगी।

       समझदारी इसी में है कि आप मिस्टर पराजय को तत्काल नौकरी से निकाल दें। आपको उनकी ज़रूरत नहीं है। आपको उनकी इस सलाह की ज़रूरत नहीं है कि आप कोई काम क्यों नहीं कर सकते, कि आप क्यों अक्षम हैं, और आप क्यों असफल होंगे इत्यादि। जहाँ आप पहुँचना चाहते हैं, वहाँ तक आपको पहुँचाने में मिस्टर पराजय आपकी कोई मदद नहीं कर सकते, इसलिए मिस्टर पराजय को आप धक्के मारकर अपने दिमाग की फैक्टरी से बाहर निकाल दें।

       पूरे समय मिस्टर विजय से ही काम लें। जब भी आपके दिमाग में कोई विचार आए तो मिस्टर विजय को ही वह काम सौंपे। वह आपको बताएँगे कि आप किस तरह सफल हो सकते हैं।

       अगले चौबीस घंटों में अमेरिका में 11,500 नए ग्राहक आ जाएँगे।

          जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। अगले दस सालों में 3.5 करोड़ लोगों की वृद्धि का अनुमान है। इसका मतलब है पाँच बड़े शहरों की वर्तमान जनसंख्या : न्यूयॉर्क, शिकागो, लॉस एंजेलिस, डेट्रॉइट और फिलाडेल्फिया कल्पना करें!

         नए उद्योग, नए वैज्ञानिक आविष्कार, बढ़ते हुए बाज़ार- हर तरफ़ अवसर ही अवसर हैं। यह अच्छी खबर है। जिंदा रहने के लिए यह
अद्भुत समय है।

          हर क्षेत्र में ऐसे अवसर विखरे हैं जहाँ चोटी के लोगों की रिकॉर्ड माँग है- उन लोगों की जिनमें दूसरों को प्रभावित करने की अधिकतम योग्यता है, जो दूसरों का मार्गदर्शन कर सकते हैं, जो उनके लीडर बनकर उनकी सेवा कर सकते हैं। और जो लोग ऐसे लीडर बनेंगे, वे सभी आज वयस्क हैं या वयस्क बनने वाले हैं। उनमें से एक आप भी हो सकते हैं।

आर्थिक व्यवस्था में उछाल का यह मतलब नहीं है कि आप व्यक्तिगत रूप से सफल हो ही जाएँगे। देखा जाए तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उछाल हमेशा ही रहा है। परंतु इसके बाद भी लाखों-करोड़ों लोग संघर्ष ही करते रहते हैं और सफल नहीं हो पाते। ज्यादातर लोग औसत जिंदगी के दलदल में ही फंसे रहते हैं और पिछले दो दशकों से लगातार चल रहे रिकॉर्ड अवसर का लाभ नहीं उठा पाते। और आगे आने वाले अच्छे समय में भी ज्यादातर लोग चिंता ही करते रहेंगे, डरते ही रहेंगे, जिंदगी भर खुद को अयोग्य मानते हुए घिसटते ही रहेंगे, और वह काम नहीं कर पाएँगे जो वे करना चाहते हैं। इसका परिणाम यह होगा कि उन्हें उनके काम के बदले में कम तनख्वाह ही मिलेगी, उनकी खुशी छोटी खुशी ही होगी।

         जो लोग अवसर का भरपूर लाभ उठाते हैं (और यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ कि आप भी उन लोगों में से एक हो सकते हैं, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो आप इस पुस्तक को पढ़ने के बजाय क़िस्मत के भरोसे ही वैठे होते), वे ऐसे समझदार लोग होंगे जो यह सीख लेंगे कि बड़ी सोच के सहारे खुद को सफलता के रास्ते पर किस तरह ले जाया जा सकता है।

          अंदर चले जाएँ। सफलता का दरवाज़ा आज पहले की तुलना में ज्यादा खुला हुआ है। यह ठान लें कि आप भी सफल लोगों के समूह में शामिल होना चाहते हैं, आप भी अपनी मनचाही चीज़ हासिल करना चाहते है।

        सफलता की तरफ़ यह आपका पहला कदम होगा। यह एक मूलभूत क़दम है। इस क़दम को उठाए बिना काम नहीं चलेगा। क़दम एक- खुद में विश्वास करें, विश्वास करें कि आप सफल हो सकते हैं।

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