ब्रिट सिस्टम में प्रचलित शब्दों का अर्थ:
● सलाहमशविरा (काउन्सिलिंग) : अपने बिज़नेस से संबंधित हर विषय पर अपनी क्रियाशील सफल अपलाइन से संपर्क बनाए रखना और हमेशा उनसे अलाहमशविरा करते रहना . यह सबके लिए एक आवश्यक कदम है, जिसे इस बिज़नेस के दौरान हर स्तर पर हमेशा किया जाना चाहिए.
● कव्हर्ड डिश : किसी के घर पर एक बढ़ती हुई नयी टीम के डिस्ट्रिब्युटरों का मेलमिलाप, जिसमें सभी अपने घर से थोड़ा व्यंजन अथबा मिठाई लाकर शामिल हो जाता है. इसका आयोजन आमतौर पर सप्ताहांत में होता है और इसका उद्देश्य है, छोटी सी बढ़ती हुई टीम में परिवारों के बीच आत्मीयता और एकता उत्पन्न करना . कभीकभी इसमें बिज़नेस के आधारभूत कार्यों का प्रशिक्षण भी शामिल कर लिया जाता है.
● क्रॉस-लाइन : वो डिस्ट्रिब्युटर आप के लिए क्रॉस-लाइन होता है, जो आप की 'लाइन ऑफ स्पॉन्सरशीप' में नहीं होता है. यदि आप व्यक्तिगत रूप से दो डिस्ट्रिब्युटरों को स्पॉन्सर करते हैं, तब वो दोनों एक दूसरे के लिए क्रॉस-लाइन होंगे .
● क्रॉस-लाइनिंग : अपनी क्रॉसलाइन को बिज़नेस से संबंधित जानकारी देना या उनसे हासिल करने का प्रयत्न करना, क्रॉस-लाइनिंग कहलाता है . इसे हमेशा टालना चाहिए. अपनी कॉसलाइन का हमेशा सम्मान कीजिए, उनकी प्रशंसा कीजिए, मगर कभी भी उनके साथ विज़नेस से संबंधित चर्चा मत जिए. बेहतर है कि आप उनके साथ ज्यादा समय रहने की कोशिश न करें .
● गहराई(डेप्थ): आपके द्वारा स्पोन्सर किया गया हर डिस्ट्रिब्युटर या उनके नीचे शामिल हुआ हर व्यक्ति आपकी डाउनलाइन कहलाता है. जब आप अपनी डाउनलाइन में एक के नीचे एक, लोगों को जोड़ते चले जाते हैं, तब इस प्रक्रिया को गहराई का निर्माण करना (डेप्थ विल्डिंग) कहा जाता है. इस प्रक्रिया को दोहराते हुए, जितनी ज्यादा गहराई में आप अपने बिज़नेस का निर्माण करते हैं, उसी अनुपात में आपके विज़नेस की नींव मज़बूत होती जाती है और बिज़नेस सुरक्षित होता जाता है.
●डाऊनलाइन : हर वो डिस्ट्रिब्युटर जिसे आपने विज़नेस में शामिल किया है या उनकी गहराई में शामिल हुआ है, वो आपकी डाउनलाइन कहलाता है.
● सपना (ड्रीम) : एक नेटवर्क बनाने के संदर्भ में, “सपना आपके मस्तिष्क में जन्में उस काल्पनिक भविष्य का चित्रण होता है, जिसे आप अपने और अपने चाहने वालों के लिए भविष्य में साकार करना चाहते हैं. आने वाले वर्षों में आपकी क्या आशाएँ और अभिलाषाएँ हैं, उन्हें परिभाषित कीजिए. उन्हें स्पष्ट कीजिए. उन्हें संभावनाओं के साकार रूप में देखिए. यह दूरदृष्टि आपके अंदर एक ऐसी ऊर्जा का निर्माण करती है, जो आपकी कल्पनाओं को साकार कर देती है.
● उत्थान (एडिफिकेशन) : यह बिजनेस रिश्तों के बल पर खड़ा होता है, जिसका आधार होते हैं भरोसा और आपसी सम्मान , हम ऐसा मानते हैं, कि लोगों द्वारा बेहतरीन परिणाम पाने के लिए, उनकी खामियों की बजाय, उनकी खूबियों पर ध्यान देकर उन्हे उभारना चाहिए. हम अपनी अपलाइन और डाउनलाइन में सकारात्मक खूबियों की पहचान करते हैं और फिर उनका पोषण करके उन्हें मज़बूत और प्रभावशाली बनाने में मदद करते हैं . एक दूसरे में खामियां तलाशना बहुत आसान होता है और हमारी मान्यता है, कि यह सिर्फ अपने समय और ऊर्जा को बरबाद करना है. आप मान लीजिए, कि आपकी अपलाइन या डाउनलाइन के लोग हर बात में परिपूर्ण नहीं हो सकते . उनकी कमजोरियों के साथ उन्हें स्वीकार कीजिए और उनके उत्थान की ओर ध्यान दीजिए आपके समह में शामिल लोग भी, तब आपके साथ ऐसा ही करेंगे •
● फोलो अप और फोलो थू : पास्पेक्ट के प्लान देख लेने के बाद, उसकी प्रतिक्रिया को जानने और उसकी शंकाओं का निराकरण करके, उसे विजनेस में जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया को फोलो अप कहा जाता है. प्लान दिखाने के बाद 24 से 48 घंटों के भीतर ही, उनके साथ अगली मुलाकात का समय और जगह निश्चित कर लेना चाहिए, फोलो अप के दौरान काफी कुछ किया जा सकता है, मगर सामान्यतः आपका यही उद्देश्य होना चाहिए, कि उनके सवालों का जवाब देना, उनकी शंकाओं का समाधान करना और उन्हें बताना, कि विज़नेस शुरू करने के लिए उन्हें आगे क्या करना है. उन्हें अगली मिटिंग में बुलाइए, जहाँ वो सफल लोगों के समूह से मिल सकें . उन्हें पुनः प्लान देखने के लिए प्रोत्साहित कीजिए . फोलो थ्रू की प्रक्रिया कभीकभार काफी लंबे समय तक चल सकती है
● फोस्टर स्पॉन्सर के विदेश में स्थित एक ऐसे डिस्ट्रिब्युटर, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपके प्रॉस्पेक्ट को बिज़नेस में जोड़कर उनके साथ काम करते हैं और उन्हें बिल्कुल उसी तरह से मदद करते हैं, जैसा कि आप अपनी डाउनलाइन को करते हैं .
● अग्रिम पंक्ति (फ्रट लाइन): जिन लोगों को आप सीधा अपने साथ ही बिजनेस में जोड़ते है, वो लोग आपकी अग्रिम पंक्ति या 'फ्रट लाइन' कहलाते
● लक्ष्य है अपने सपने को साकार करने के लिए समय सीमा निर्धारित करना ही 'लक्ष्य' कहलाता है. इस बिज़नेस में हर माह कुछ क्षेत्रों में लक्ष्य निर्धारित करके काम करना बेहतर होता है. आप कितनी बार प्लान दिखाएंगे ? अगले सेमिनार में आप कितने लोगों को ले आएँगे ? आप अपने तीन मुख्य समूहों (लेग्स) में अपनी 'टॅप रूट' (सबसे नीचे जुड़े व्यक्ति) को कितनी गहराई तक ले जाएंगे? इस महीने आपका व्यक्तिगत और आपके समूह का पी.व्ही. क्या होगा? आप अपने बिज़नेस का निर्माण प्रत्येक 30 दिनों के हिस्से में, दैनिक और मासिक लक्ष्य के आधार पर करेंगे, तब यह एक आसान काम बन जाएगा. वृंदवृंद से ही सागर बनता है . (हर बात सहज ही की जा सकती है .).
● होम मिटिंग : प्रॉस्पेक्ट्स के एक छोटे समूह को प्लान दिखाने के लिए, किसी के घर में यह एक पूर्वनियोजित मिटिंग होती है. इस विज़नेस की बेहतरीन शरूआत करने का एक तरीका है, कुछ एक होम मिटिंग को आयोजित करना . नए डिस्ट्रिब्युटर की मदद करने के उद्देश्य से, मार्कर वोर्ड पर प्लान दिखाने के लिए, अपलाइन लीडर होम मिटिंग में आते हैं. इस बिज़नेस को तेजी से बढ़ाने के लिए 'होम मिटिंग' ही सबसे बढ़िया उपाय है.
● अंतर्राष्ट्रीय प्रायोजन (इंटरनॅशनल स्पॉन्सरिंग) : विदेशों में डिस्ट्रिब्युटर को स्पॉन्सर करके अपने बिज़नेस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने का यह एक सुअवसर है . आप बतौर अंतर्राष्ट्रीय स्पॉन्सर किसी खास विदेशी बाजार में नए डिस्ट्रिब्यूटर का चयन करके उन्हें बिज़नेस से जोड़ते हैं. इसके लिए उसी देश में एक फोस्टर स्पॉन्सर की नियुक्ति की जाती हैं, जो कि आपके द्वारा चुने हुए डिस्ट्रिब्युटर को बिज़नेस बढ़ाने में उसी तरह से मदद करता है, जैसा कि आप खुद वहाँ रहकर कर सकते थे.
● लेग : जब आप किसी डिस्ट्रिब्युटर को स्पॉन्सर करते हैं तथा उसको अपना समूह बनाने में मदद करते हैं, तब उसका यह समूह आपका एक “लेग” कहलाता है. इस बिज़नेस के शुरूआती दौर में अपने तीन प्रमुख समूहों (लेग्स) में गहराई (डेप्थं) का निर्माण करना चाहिए.
● प्रायोजन रेखा (लाइन ऑफ स्पॉन्सरशीप) : यह एक वंश परंपरा जैसी होती है, जैसे पिता, फिर उनके पिता, फिर उनके पिता .... दूसरे शब्दों में, आपके स्पॉन्सर, फिर स्पॉन्सर के स्पॉन्सर और फिर उनके स्पॉन्सर ..... आदि . आपकी अपनी डाउनलाइन के अलावा, इस लाइन ऑफ स्पॉन्सरशीप के बाहर का हर डिस्ट्रिब्युटर आपके लिए क्रॉसलाइन का दर्जा रखता है.
● भव्य समारोह (मेजर फंक्शन मेगा फंक्शन) : समयसमय पर आपकी लाइन ऑफ स्पॉन्सरशीप द्वारा पूरे सप्ताह चलनेवाली मिटिंग, सम्मेलन और समारोह का आयोजन किया जाता है. इनका आयोजन बहुत ही बढ़िया ठिकानों पर, विशिष्ट महानगरों में किया जाता है. इन कार्यक्रमों में आपको इस बिजनेस का 'विशाल चित्र देखने का अवसर प्राप्त होता है. ये भव्य समारोह हर लिहाज से बेहतरीन होते हैं. वहाँ आप उच्चतम स्तर पर पहुंचेबक्ताओं को सुन सकते हैं और इस बिज़नेस के बेहतरीन शिक्षकों से प्रशिक्षण एवं जानकारी पा सकते हैं. इन समारोहों में शामिल होना आपके और आपकी टीम के विकास के लिए, किसी भी अकेले कार्यक्रम की तुलना में, ज्यादा मददगार साबित होगा . इनमें आपको एकता की उस शक्ति का अनुभव होगा, जिसे आपने शायद पहले कभी महसूस नहीं किया होगा . बिज़नेस से जुड़ते ही जितना जल्दी हो सके एक भव्य समारोह में शामिल हो जाइए. इसके बाद आपके दिमाग में, किसी भी और बात से ज्यादा जल्दी, यह स्पष्ट हो जाएगा, कि यह बिज़नेस आपके लिए है या नहीं .
● सेमिनार और रॅली के सिस्टम द्वारा अधिकृत आपकी अपलाइन के ऐसे समारोहों का मकसद होता है, आपको प्रशिक्षित करना, विज़नेस बढ़ाने के लिए आधारभूत तकनीक सिखाना . ये सेमिनार 140 किलोमीटर की परिधि में, 200 से 1000 लोगों के समूह के लिए आयोजित किए जाते हैं. इसके लिए 'एमरल्ड या डायमंड' स्तर के वक्ता का चुनाव किया जाता है. इन्हें सामान्यतः दो सत्रों में आयोजित किया जाता है, दोपहर 2 .00 से 5.00 तक प्रशिक्षण सत्र और शाम 8.00 से 11 : 00 तक चलनेवाले रैली सत्र, जो कि अत्यंत उत्साहवर्धक होते हैं और इनमें बहुत से महत्वपूर्ण सुझावों तथा सफल लोगों को सम्मानित करने के कार्यक्रम को भी शामिल किया जाता है. ऐसे सेमिनार इस विज़नेस के दिल की धड़कन होते हैं, इसलिए आपको चाहिए, कि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इन सेमिनारों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कीजिए .
● नट अॅन्ड बोल्टस : विज़नेस के निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत कार्यो को 'नट अॅन्ड वोल्ट्स' कहा जाता है. इनका आयोजन सामान्यतः एक प्लॅटिनम द्वारा अपनी टीम को सिखाने के लिए किया जाता है. बहुत बार 'कव्हर्ड डिश' के साथ इसे जोड़ दिया जाता है .
● वन-ऑन-वन: जब आप व्यक्तिगत तौर पर, अपने या उनके घर में, किसी अकेले व्यक्ति या पतिपली (दंपत्ति) को आमनेसामने बैठकर, बिजनेस का प्लान दिखाते हैं, तब यह वनऑनवन प्लान कहलाता है.
● ओपन मिटिंग : बहुत से पॉस्पेक्ट्स को एकसाथ, पेशेवर तरीके से किसी होटल या सभागृह में, प्लान दिखाया जाता है, इसे 'ओपन मिटिंग' कहा जाता है. इसका आयोजन हर शहर में नियत कालावधि में (साप्ताहिक या मासिक) किया जाता है. सभी डिस्ट्रिब्युटरों को प्रोत्साहित किया जाता है, कि वो अपने पॉस्पेक्टस को पहली बार या फोलो अप के रूप में दूसरी बार प्लान दिखाने के लिए, इस मिटिंग में अवश्य ले आएँ. इस मिटिंग में सामान्यतः प्लॅटिनम या उनसे ऊँचे स्तर के लीडर द्वारा ही प्लान दिखाया जाता है. इसे ओपन या खुली मिटिंग इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि संगठन में शामिल सभी समूह, इसमें खुले रूप में शामिल हो सकते हैं .
● व्यक्तिगत (पर्सनल): आपके द्वारा व्यक्तिगत रूप से बिज़नेस में जोड़ा गया व्यक्ति 'पर्सनल' या 'फ्रट लाइन' के नाम से जाना जाता है.
जुड़ना या शामिल होना (प्लग-इन) : जैसे ही आप अप्लीकेशन फार्म भरकर सही करते हैं, आप इस विज़नेस से जुड़ जाते हैं, विस्तार में कहा जाए तो, कंपनी द्वारा अपने डिस्ट्रिब्युटर को प्रॉडक्ट्स और सेवा संबंधित दी गयी सारी सुविधाओं को पाने के आप हकदार बन जाते हैं. इसी तरह आप सिस्टम के साथ जुड़कर, उसके द्वारा मिलनेवाले प्रशिक्षण और सहयोग को पाने के अधिकारी हो जाते हैं. जब आप किसी को स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्पॉन्सर करते हैं, तब यह ज़रूरी है, कि आप उन्हें उन्हीं के क्षेत्र या देश में स्थित सिस्टम के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें . इस तरह से उन्हें प्रशिक्षण और सहयोग मिलता है, जिसके कारण आपका बिज़नेस दूरस्थ स्थानों में भी तेज़ी से बढ़ता है.
● प्रॉस्पेक्ट है एक ऐसा व्यक्ति, जिसमें आपके विज़नेस में डिस्ट्रिब्युटर या पॉडक्ट्स के लिए ग्राहक बनने की संभावनाएं छुपी होती हैं. इसके लिए पहले से किसी के संबंध में निर्णय लेना जरूरी नहीं है, मगर पहले से ही उसे टटोलना अत्यंत ज़रूरी होता है. यह भी याद रखिए, कि जब कोई आपके साथ बिजनेस में जुड़ जाता है, तब चाहे आपको उससे आमदनी हुई हो या नहीं, आपकी नैतिक जवाबदारी है, कि आप उन्हें विज़नेस बढ़ाने में मदद करें.
● प्लान दिखाना (शो द प्लान, STP) जब आप प्लान दिखाते हैं, तब आप बिज़नेस की मार्केटिंग से संबंधित जानकारी को पॉस्पेक्ट के सामने खुला कर देते हैं. आप 'वनऑनवन', होम मिटिंग या ओपन मिटिंग के माध्यम से प्लान दिखा सकते हैं . जितना जल्दी हो सके अपना प्लान खुद ही दिखाना सीख लीजिए. अगर आप दो बार भी प्रयास करेंगे, तो आप प्लान दिखाना आसानी से सीख सकते हैं
● प्रायोजित करना (स्पॉन्सरिंग) : किसी व्यक्ति या दंपत्ति को अपने बिज़नेस में जोड़ने या शामिल करने की क्रिया को 'स्पॉन्सरिंग' या प्रायोजित करना कहा जाता है.
● शिक्षण प्रणाली (सिस्टम) : यह एक पूरी तरह से संगठित, एकजुट और समयानुसार सिध्द हो चुका प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसकी रचना आपको और आपके संगठन को नेटवर्क मार्केटिंग के सफलतम सिध्दांतों के आधार पर प्रशिक्षण देने के लिए की गयी है. हालाँकि सिस्टम के साथ जुड़ना पूरी तरह से आपकी मर्जी पर निर्भर होता है, लेकिन सामान्य तौर पर समझदारी की बात यही है, कि जब आप एक संगठन का निर्माण करेंगे, जो कि देशविदेश में फैलनेवाला है, तब आपको एक सिस्टम की ज़रूरत होगी, जो आपके संगठन को सहयोग, प्रशिक्षण, शिक्षा और प्रोत्साहन दे सके . आपको बस इतना ही करना है, कि इस अदभुत जानकारी और ऊर्जा के स्रोत से जुड़ जाइए. सिस्टम के प्रशिक्षण का आधार है, किताबें, कॅसेटस, सीडी, सेमिनार और साल में चार भव्य समारोह . सैंकड़ों सफलतम लीडर्स के मिलेजुले प्रयासों का पतिनिधित्व करती है आपकी शिक्षण प्रणाली, जिससे उत्पन्न पभाव के कारण आपको और आपके संगठन को श्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं .
● टॅप रूट : जब आप किसी लेग या समूह में गहराई याने डेप्थ का निर्माण करते हैं, तब सवसे नीचे जुड़े हुए क्रियाशील डिस्टिव्यटर को 'टप रूट' के नाम से जाना जाता है. अपने हर लेग में 'टॅप रूट पर आपको विशेष तौर पर ध्यान देना, उसकी प्रगति की जिम्मेदारी लेने से लेकर उसे पशिक्षित करना, उसकी गहराई में स्पॉन्सर करते जाना अत्यंत आवश्यक होता है.
● टीम मिटिंग : प्लॅटिनम या उससे ऊँचे लीडर द्वारा अपने समूहों में आयोजित किया गया प्रशिक्षण सत्र टीम मिटिंग कहलाता है. इसका आयोजन किसा हाल या होटल में महीने में एक बार या कुछ लीडर्स के गूप में ज्यादा बार भी किया जाता है, अक्सर इन सत्रों में बिज़नेस के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण कार्यो को सिखाया जाता है और साथ ही सफलता पानेवालों को सम्मानित भी किया जाता है, सामान्यतः सिस्टम का सारा साहित्य इस मिटिंग में उपलब्ध कराया जाता है.
● साहित्य या औज़ार (टूल्स) : औज़ार, साहित्य या टूल्स का मतलब उस सामुग्री से है, जो सिस्टम द्वारा आपके बिज़नेस को बढ़ाने में मदद के लिए तैयार किया जाता है . किताब, कॅसेट, सीडी और प्रिंटेड साहित्य के अलावा, मार्कर बोर्ड इत्यादि जैसी सामुग्री का भी समावेश 'टूल्स याने औज़ार' के रूप में किया जाता है.
● अपलाइन : आपके स्पॉन्सर से लेकर ऊपर तक, जो भी आपकी लाइन ऑफ स्पॉन्सरशीप में आता है, वो हर लीडर आपका अपलाइन कहलाता है .
● चौड़ाई (विड्थ) : चौड़ाई (विड्थ) का संबंध आपके द्वारा स्पॉन्सर किए गए समूहों (लेग्स) की संख्या में है. जितने ज्यादा लोगों को आप अपनी 'फ्रट लाइन' में जोड़ते हैं, उतनी ही आपके विज़नेस की चौड़ाई (विड्थ) बढ़ती है. अगर आपके तीन लेग्स हैं, तब आपके विज़नेस को तीन लेग चौडा माना जाता है. जिस तरह से गहराई बढ़ने से आपके विजनेस को मजबूती और सुरक्षा मिलती है, ठीक उसी तरह से चौड़ाई बढ़ने से आपका लाभ बढता है. विड्थ और डेप्थ का संतुलन बनाए रखना विज़नेस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।