Sunday, September 22, 2019

CHAPTER. 7.2 अपने माहौल को सुधारें : फ़र्स्ट क्लास बनें




      याद रखें- जो लोग आपको बताते हैं कि इसे किया नहीं जा सकता, वे उपलब्धियों के मामले में हमेशा असफल लोग होते हैं, हमेशा औसत लोग होते हैं। इन लोगों के विचार ज़हर की तरह होते हैं।

       जो लोग आपको यह समझाना और विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आप यह नहीं कर सकते, आपको उन लोगों के ख़िलाफ़ अपनी सुरक्षा का इंतज़ाम कर लेना चाहिए। नकारात्मक सलाह को केवल चुनौती के रूप में स्वीकार करें और आप उस काम को करके दिखा दें।

       इस बारे में बेहद सावधान रहें- नकारात्मक सोच वाले लोगों को अपनी सफलता की योजना बदलने का मौक़ा न दें। नकारात्मक लोग हर जगह होते हैं और उन्हें दूसरों का बना-बनाया खेल बिगाड़ने में बड़ा मज़ा आता है। 

       कॉलेज में मैं दो सेमिस्टर में डब्ल्यू. डब्ल्यू. के साथ था। वह एक अच्छा दोस्त था, जो आपको कभी-कभार ज़रूरत पड़ने पर थोड़ा-बहुत क़र्ज़ दे दिया करता था या दूसरे तरीकों से भी मदद कर दिया करता था। इन अच्छी आदतों के बावजूद, डब्ल्यू. डब्ल्यू. ज़िंदगी के प्रति निराशावादी और कटु था, उसे अपना भविष्य पूरी तरह अंधकारमय नज़र आता था, उसे सफल होने का कोई मौका नहीं दिखता था। उसकी मानसिकता पूरी तरह नकारात्मक थी।

       उस समय मैं अखबार की एक कॉलमिस्ट का दीवाना हुआ करता था। यह कॉलमिस्ट आशावादी थी, सकारात्मक रवैए वाली थी, और मानती थी कि ज़िंदगी में अवसरों की कोई कमी नहीं है। जब भी डब्ल्यू. डब्ल्यू. मुझे इस कॉलमिस्ट के लेख पढ़ते हुए देखता था या जब भी चर्चा में उसका नाम आता था, तो वह कहता था, “भगवान के लिए, डेव। मुख्य पृष्ठ पढ़ो। वहीं तुम्हें ज़िंदगी की सच्चाई नज़र आएगी। तुम्हें पता होना चाहिए कि यह आशावादी कॉलमिस्ट कमज़ोर लोगों के दिमाग को बहला-फुसलाकर अपने पैसे कमा रही है।"

        जब भी हमारी चर्चा ज़िंदगी में सफलता हासिल करने के बारे में हुआ करती थी, तो डब्ल्यू. डब्ल्यू. पैसा कमाने का अपना फॉर्मूला बताता था। उसके शब्दों में फ़ॉर्मूला था- “डेव, पैसा कमाने के आजकल तीन रास्ते हैं। पहला, अमीर औरत से शादी कर लो। दूसरा, अच्छे, साफ़-सुथरे ढंग से, कानूनी तरीके से धोखा दो। तीसरा तरीक़ा यह कि सही लोगों से जान-पहचान कर लो, जिनकी अच्छी पकड़ हो।"

        डब्ल्यू. डब्ल्यू. हमेशा अपने फॉर्मूले को सही साबित करने के लिए ढेरों उदाहरण दिया करता था। मुख्य पृष्ठ पर छपी ख़बरों का हवाला देते। हुए वह बताता था कि हज़ारों लेबर लीडर्स में से एक लीडर ने अपनी यूनियन के पैसे का गबन किया और रफू-चक्कर हो गया। वह उस दुर्लभ खबर की तलाश भी किया करता था कि किस तरह एक फल बेचने वाले ने करोड़पति लड़की से शादी कर ली। और वह एक ऐसे आदमी को जानता था जिसका परिचित एक बड़े आदमी का परिचित था और इस कारण उसे एक बड़ा मौक़ा हाथ लग गया और वह अमीर बन गया।

        डब्ल्यू. डब्ल्यू. मुझसे कई साल बड़ा था और उसे इंजीनियरिंग की कक्षाओं में अच्छे नंबर मिला करते थे। मैं उसे बड़े भाई की तरह मानता था। मैं इस बात के बहुत करीब आ गया था कि अपने मूलभूत विश्वासों पर उसकी विचारधारा को हावी हो जाने दूँ और अपनी सकारात्मक
विचारधारा को उसकी नकारात्मक विचारधारा से प्रभावित हो जाने दूँ।

        सौभाग्य से, एक शाम डब्ल्यू. डब्ल्यू. से लंबी चर्चा के बाद मैंने खुद को सँभाला। मुझे यह एहसास हुआ कि मैं असफलता की आवाज़ सुन रहा था। मुझे यह लगा कि डब्ल्यू. डब्ल्यू. मुझे नहीं समझा रहा है, बल्कि अपने आप को तसल्ली दे रहा है कि उसकी सोच सही है। इसके बाद मैं डब्ल्यू. डब्ल्यू. को एक नए अंदाज़ में देखने लगा, जैसे कोई वैज्ञानिक प्रयोग करते समय किसी चूहे को देखता है। उसकी बातों को मानने के बजाय मैंने। उसका अध्ययन शुरू किया। मैं यह समझने की कोशिश कर रहा था कि उसकी ऐसी विचारधारा क्यों थी और उसकी यह नकारात्मक सोच उसे। कहाँ ले जाएगी। मैंने अपने नकारात्मक दोस्त को एक व्यक्तिगत प्रयोग में बदल लिया।

        मैं डब्ल्यू. डब्ल्यू. से 11 साल से नहीं मिला। परंतु मेरा एक दोस्त। उससे कुछ महीने पहले ही मिला था। डब्ल्यू. डब्ल्यू. वॉशिंगटन में एक कम तनख्वाह वाला ड्राफ्ट्समैन है। मैंने अपने मित्र से पूछा कि क्या डब्ल्यू. डब्ल्यू. में कोई बदलाव आया है।

         "नहीं, अगर कोई बदलाव आया है, तो सिर्फ यही कि वह पहले से ज़्यादा नकारात्मक हो गया है। वह ज़िंदगी में बहुत सारी कठिनाइयाँ झेल रहा है। उसके चार बच्चे हैं और उसकी कम तनख्वाह में उनका ठीक से गुजारा नहीं हो पाता। डब्ल्यू. डब्ल्यू. में इतना दिमाग है कि वह इससे पाँच गुना ज्यादा कमा सकता है परंतु उसे यह नहीं मालूम कि इस दिमाग़ का किस तरह उपयोग किया जाए।"

          नकारात्मक लोग हर जगह होते हैं। कुछ नकारात्मक लोग, जैसा मेरा दोस्त डब्ल्यू. डब्ल्यू. था, दिल के साफ़ होते हैं और आपका भला करना चाहते हैं। परंतु कई नकारात्मक लोग आपसे जलते हैं। चूँकि वे खुद ज़िंदगी की दौड़ में पीछे रह गए हैं, इसलिए वे आपको भी गिराना चाहते हैं। वे खुद को अयोग्य समझते हैं, इसलिए वे आपको भी अपनी तरह अयोग्य, औसत बनाना चाहते हैं।

         बेहद सावधान रहें। नकारात्मक लोगों का अध्ययन करें। उन्हें अपनी सफलता की योजना नष्ट न करने दें।

       एक युवा कर्मचारी ने मुझे बताया कि उसने अपना डिपार्टमेंट बदल लिया है। उसने कहा, "हमारे डिपार्टमेंट का एक आदमी सुबह-शाम हमारी कंपनी की बुराई किया करता था। चाहे मैनेजमेंट कुछ भी करे, वह उसमें बुराई ढूँढ़ ही लेता था। वह सुपरवाइज़र से लेकर मालिक तक हर एक के बारे में नकारात्मक सोच रखता था और नकारात्मक बातें कहता था। हम जो माल बेचते थे, वह उसकी नज़र में घटिया था। हमारी हर नीति में कोई न कोई ख़ामी थी। जहाँ तक उसका ख्याल था, हमारी कंपनी की हर चीज़ में, हर व्यक्ति में कहीं न कहीं, कोई न कोई गड़बड़ी थी।

          "हर सुबह जब मैं काम पर आता था तो उसकी जली-कटी बातें सुनकर में तनावग्रस्त हो जाया करता था और शाम को जब मैं घर जाता था, उसके पहले भी वह कर्मचारी 45 मिनट तक इस बात पर भाषण देता था कि उस दिन हमारे साथ क्या-क्या ग़लत हुआ, वह दिन क्यों खराब गुज़रा। मैं बहुत निरुत्साहित, निराश होकर घर लौटता था। आखिरकार, मैंने फैसला किया कि मैं दूसरे डिपार्टमेंट में चला जाऊँ। इससे बहुत ज्यादा फ़र्क पड़ा क्योंकि अब में ऐसे लोगों के साथ हूँ जो दोनों पहलुओं पर विचार कर सकते हैं।"

         उस युवक ने अपना माहोल बदल लिया। उसने सही काम किया है ना?

           इस बारे में कोई गलतफ़हमी न पालें। आपको आपके संगी-साथियों के आधार पर पहचाना जाता है। एक जैसे लोग एक साथ रहते हैं। सभी कर्मचारी एक-से नहीं होते। कुछ नकारात्मक होते हैं, कुछ सकारात्मक। कुछ इसलिए काम करते हैं क्योंकि काम करना उनकी “मजबूरी" है। कछ इसलिए काम करते हैं क्योंकि वे महत्वाकांक्षी हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं। कुछ सहयोगी बॉस की हर बात या उसके हर काम की बुराई करते हैं; कुछ दूसरे सहयोगी ज़्यादा निष्पक्ष दृष्टि से सोचते हैं और यह महसस करते हैं कि अच्छे लीडर बनने से पहले उन्हें अच्छा अनुयाई बनना चाहिए।

          हम किस तरह सोचते हैं, यह हमारे समूह से तय होता है। सनिश्चित कर लें कि आप ऐसे समूह में हों जो सही सोचता है।

       आपके काम के माहौल में कई बाधाएँ आएँगी। हर समूह में ऐसे लोग होंगे जिन्हें अपनी अयोग्यता का एहसास होगा और वे आपकी राह में बाधा बनकर खड़े हो जाएँगे और आपको प्रगति नहीं करने देंगे। कई महत्वाकांक्षी लोगों की हँसी उड़ाई जाती है, उन्हें धमकाया तक जाता है और सिर्फ इसलिए क्योंकि वे लोग ज़्यादा सफल होते हैं और ज्यादा काम करते हैं। हम इस बात को ठीक से समझ लें। कुछ लोग ईर्ष्या की वजह से आपको नीचा दिखाना चाहते हैं और वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि आप सफलता की सीढ़ी पर ऊपर की तरफ़ चढ़ना चाहते हैं।

         यह फ़ैक्टरियों में अक्सर होता है जहाँ साथी कर्मचारी ऐसे व्यक्ति से चिढ़ते हैं जो उत्पादन बढ़ाना चाहता है। यह मिलिट्री में भी होता है जहाँ नकारात्मक लोगों का समूह उस युवा सिपाही की हँसी उडाता है और उसका अपमान करता है जो ऑफ़िसर्स स्कूल में जाना चाहता है।

       यह बिज़नेस में भी होता है, जब ज़िंदगी की दौड़ में पीछे रह जाने वाले लोग आगे निकलने वाले लोगों का रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं। आपने यह हाईस्कूल में भी बार-बार देखा होगा कि कुछ आवारा लड़के उस सहपाठी का मज़ाक उड़ाते हैं जो अच्छी तरह पढ़ता है और अच्छे नंबर लाता है। कई बार तो उस प्रतिभाशाली विद्यार्थी का तब तक मज़ाक़ उड़ाया जाता है जब तक कि वह इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँच जाता कि प्रतिभाशाली होने में समझदारी नहीं है।

       अपने आस-पास के ऐसी नकारात्मक सोच वालों को नज़रअंदाज़ कर दें।

       अक्सर आपसे इस तरह की जो बातें कही जाती हैं, उनका उद्देश्य आपको नीचा दिखाना नहीं होता। वे तो केवल बोलने वाले की असफलता और निराशा को उजागर करती हैं।

         नकारात्मक सोच वाले लोगों को इस बात की छूट न दें कि वे आपको भी अपने स्तर तक नीचे ले आएँ। उनकी बातों को उसी तरह से फिसल जाने दें जैसे बतख की पीठ से पानी फिसला करता है। इस तरह के लोगों से जुड़ें जो सकारात्मक सोचते हैं, जो प्रगतिशील सोच रखते हैं। उनके साथ ऊपर की तरफ़ बढ़ें।

          आप भी ऐसा कर सकते हैं, बशर्ते कि आपकी सोच सही हो!

      परंतु एक सावधानी रखें- ये देखें कि आपको सलाह देने वाला कौन है। ज़्यादातर संगठनों में आपको बहुत से ऐसे लोग मिल जाएँगे जो आपको “फोकट की सलाह" देंगे। वे रुचि लेकर आपको सफलता के गुर या नुस्खे या फ़ॉर्मूले बताना चाहेंगे। एक बार मैंने इसी तरह के फोकटिया सलाहकार को एक प्रतिभाशाली नए कर्मचारी को सलाह देते हुए सुना। सलाहकार कह रहा था, “यहाँ काम करने का तरीक़ा यही है कि आप हर काम से बचें। अगर उन्हें पता चल गया कि आपमें प्रतिभा है, तो वे आप पर काम लादते चले जाएंगे। ख़ास तौर पर मिस्टर ज़ेड. (डिपार्टमेंट के मैनेजर) से जितना बने दूर रहना। अगर उन्हें पता चल गया कि आपके पास कम काम है तो वे आपको गले तक काम में डुबो देंगे...।"

       यह फोकटिया सलाहकार 30 साल से उस कंपनी में काम कर रहा है और उसे आज तक प्रमोशन नहीं मिला है। उस व्यक्ति के लिए यह कितना अच्छा सलाहकार हो सकता है जो अभी नया-नया काम शुरू कर रहा है और बिज़नेस में ऊपर की तरफ़ प्रगति करना चाहता है!

जो जानते हैं, उन्हीं से सलाह लेने का नियम बनाएँ। बहुत से लोग यह सोचते हैं कि सफल लोगों से मिलना आसान नहीं होता। यह बात गलत है। सच तो यह है कि इनसे मिलना मुश्किल नहीं होता। देखने में यह आता है कि जो व्यक्ति जितना ज़्यादा सफल होगा, वह उतना ही विनम्र होता है और दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता है। चूंकि ऐसे लोग अपने काम और सफलता में सचमुच रुचि लेते हैं इसलिए वे यह देखना चाहते हैं कि हर काम सफलतापूर्वक हो और जब वे रिटायर हों तो उनका उत्तराधिकारी इतना क़ाबिल हो कि वह हर काम सफलतापूर्वक कर सके। उन लोगों से मिलना मुश्किल होता है जो “भविष्य में बड़ा बनने के सपने देखने वाले लोग" होते हैं।

         एक एक्जीक्यूटिव ने जिसे एक घंटे के 40 डॉलर मिला करते थे इस बात को स्पष्ट किया - “मैं एक व्यस्त महिला हूँ, परंतु मेरे ऑफ़िस के दरवाज़े पर 'डू नॉट डिस्टर्ब' का बोर्ड नहीं लगा रहता। लोगों को सलाह देना मेरा मुख्य काम है। हम अपनी कंपनी के हर व्यक्ति को प्रशिक्षण देते हैं। परंतु अगर किसी को व्यक्तिगत परामर्श या “सलाह" की ज़रूरत हो, तो उसे बस कहने भर की देर है।

        “मैं अपने यहाँ आने वाले की हर समस्या सुनने के लिए तैयार हूँ, चाहे वह समस्या कंपनी से संबंधित हो या व्यक्तिगत। वह व्यक्ति जो अपनी नौकरी के बारे में ज़्यादा जानना चाहता है और काम करने के ज़्यादा अच्छे तरीके सीखना चाहता है, उसकी मदद करना मुझे सबसे अच्छा लगता है।

         "परंतु,” उसका कहना था, “मुझे ऐसे फालत लोगों को सलाह देने में समय बर्बाद करना पसंद नहीं है जो गंभीरता से सलाह नहीं ले रहे हों।"

            जब आपके पास सवाल हों, तो फ़र्स्ट क्लास बनें। असफल व्यक्ति से सलाह लेना उसी तरह की बात है जैसे नीमहकीम से कैंसर का इलाज पूछना।

         आजकल कई एक्जीक्यूटिव किसी महत्वपूर्ण पद पर किसी को नौकरी देत समय उसकी पत्नी का इंटरव्यू भी लेते हैं। एक सेल्स एक्जीक्यूटिव ने मुझ बताया, “मैं यह सुनिश्चित कर लेता हूँ कि हमारे संभावित सेल्समैन का परिवार उसे सहयोग करता हो। सेल्समैन की नौकरी में यात्रा करनी पड़ता है, काम के घंटे अनियमित होते हैं और भी इसी तरह की कई दिक्क़तें होती हैं। ऐसी परिस्थिति में ऐसा सहयोगी परिवार होना चाहिए जो सेल्समैन की राह में दिक्क़तें खड़ी न करे।"

        आज लोग इस बात को समझ चुके हैं कि छुट्टी के दिन में जो होता है और शाम को 6 बजे से सुबह 9 बजे तक जो होता है उससे किसी इंसान के काम पर फ़र्क पड़ता है, उससे इस बात पर फ़र्क पड़ता है कि वह इंसान सुबह 9 बजे से शाम को 6 बजे तक किस तरह काम करेगा। जिसकी नौकरी के बाहर की ज़िंदगी रचनात्मक है वह उस व्यक्ति से ज़्यादा सफल होगा जिसकी घरेलू ज़िंदगी बोझिल और नीरस है।

          हम पारंपरिक तरीके से दो साथी कर्मचारियों जॉन और मिल्टन को देखें कि वे अपना वीकएंड किस तरह गुज़ारते हैं। और इसके क्या परिणाम होते हैं।

        जॉन वीकएंड में अपनी मनोवैज्ञानिक खुराक इस तरह लेता है। आम तौर पर एक शाम वह अपने चुनिंदा, दिलचस्प दोस्तों के साथ गुज़ारता है। दूसरी शाम को वे लोग घूमने जाते हैं - शायद कोई फ़िल्म देखते हैं, किसी सामुदायिक कार्यक्रम में जाते हैं या किसी दोस्त के घर जाते हैं। जॉन शनिवार की सुबह ब्वॉय स्काउट वर्क में लगाता है। शनिवार की दोपहर को वह घर के छोटे-मोटे काम निबटाता है। अक्सर वह किसी ख़ास प्रोजेक्ट पर काम करता है। अभी वह पिछवाड़े एक आँगन बना रहा है। रविवार को जॉन अपने परिवार के साथ कुछ ख़ास करता है। हाल ही में एक रविवार को वे लोग पहाड़ पर चढ़ने गए। दूसरे रविवार को वे संग्रहालय घूमने गए। कभी-कभार वे आस-पास देहात में पिकनिक मनाने चले जाते हैं क्योंकि जॉन भविष्य में देहात में ज़मीन-जायदाद खरीदना चाहता है।

        रविवार की शाम शांति से गुज़रती है। जॉन आम तौर पर कोई पुस्तक पढ़ता है या फिर समाचार सुनता है।

        जॉन के वीकएंड व्यस्त और सुनियोजित रहते हैं। कई तरह की रोचक गतिविधियों के कारण बोरियत का सवाल ही नहीं उठता। जॉन को काफ़ी मनोवैज्ञानिक ऊर्जा मिल जाती है।

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