पांचवां चरण :कार्य
"बड़े शब्दों की संगत अच्छे कर्मों के साथ दुर्लभ ही दिखायी देती है."
चार्लोट व्हिटन
कर्म के विना सभी इच्छाएं, सपने, लक्ष्य, योजनाएँ, प्रार्थनाएँ, और विश्वास खो जाते हैं. प्रयास ही प्रगति है. हर सक्षम व्यक्ति को इस
सवाल का जवाब देना ही पड़ता है, “क्या में अपने सपनों और लक्ष्यों से संबंधित कार्य करने के लिए वास्तव में गंभीर हूँ?" आपके मज़बूत और
लगातार प्रयासों के ही परिणाम आपके इच्छित लक्ष्यों में दिखायी देते हैं.
यदि एक बार आपके पास अपने सपनों को साकार करने की सक्षम योजना है, तब आपको अपनी योजना पर सावधानी से अमल करने के लिए, केवल एक पक्का निर्णय लेने की आवश्यकता है, लेकिन उससे भी पहले अपने आप से यह सवाल करना जरूरी है, कि आप अपने सपनों को। पूरा करने के लिए कितने गंभीर हैं. यदि आपका जवाब सकारात्मक है, तो आपको आगे बढ़कर योजना के अनुसार कार्य में जुट जाना चाहिए. यदि आप इस विजनेस को आधे मन से करते हैं, तब निश्चित ही आप इसे आधे रास्ते में छोड़ भी देंगे .
नीचे दी हुई कहानी, योजना और प्रबल इच्छा के महत्व को समझाती है. राज और प्रकाश दोनों ही अपने कॉलेज के सर्वश्रेष्ठ धावक थे. राज हमेशा प्रथम आता था, परंतु एक दिन वह हार गया . प्रतियोगिता के बाद राज ने प्रकाश के पास आकर कहा, “आज तो तुमने कमाल कर दिया. आज से पहले मैंने कभी तुम्हें इतना तेज़ दौड़ते हुए नहीं देखा. इसपर प्रकाश ने जवाब दिया, “ आज भी तुम हमेशा की तरह प्रथम स्थान पाने के लिए ही दौडे थे. पर मैं तो दौड़ा था स्कॉलरशीप के पैसों के लिए, ताकि में कॉलेज की फीस भर सकें. यह बात बिल्कुल स्पष्ट है, कि उस दिन की दौड़ में दोनों की इच्छाओं की तीव्रता और जुनून में फर्क था, जिसके साथ वो आगे बढ़े थे, बस इसी बात ने दौड़ के नतीजे में फर्क पैदा किया -
काम करना पहली जरूरत है. अमल किए बिना आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते . अपने लक्ष्य के लिए प्रतिवद्ध रहिए। प्रतिबद्धताओं के बिना जीवन में कुछ भी सार्थक हासिल नहीं किया जा सकता .