Thursday, September 19, 2019

CHAPTER 6.2. जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे




           आपकी वेशभूषा की तरह, आपकी अपने काम के बारे में सोच भी के सपीरियर, सहयोगियों, अधीनस्थों से कुछ कहती है - दरअसल, संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति से कुछ न कुछ कहती है।

           कुछ महीनों पहले मैंने एक दोस्त के साथ कुछ घंटे का समय बिताया । मेरा यह मित्र एक अप्लायंस निर्माता के यहाँ पर्सनेल डायरेक्टर (Parsonnel director) है। हमने “आदमी बनाने" के बारे में बात की। उसने अपना “पर्सनेल ऑडिट सिस्टम" मुझे समझाया और कहा कि उसने इससे बहुत सीखा है।

          "हमारे यहाँ 800 लोगों का गैर-उत्पादक स्टाफ़ है। हमारे पर्सनेल ऑडिट सिस्टम में मैं अपने एक सहयोगी के साथ हर छह महीने में अपने हर कर्मचारी का इंटरव्यू लेता हूँ। हमारा लक्ष्य सीधा-सा है। हम जानना चाहते हैं कि हम उसके काम में उसकी क्या मदद कर सकते हैं। हम सोचते हैं कि यह एक अच्छी परंपरा है क्योंकि हमारे यहाँ काम करने वाला हर व्यक्ति हमारे लिए महत्वपूर्ण है, वरना वह हमारे यहाँ काम नहीं कर रहा होता।

          “हम कर्मचारियों से सीधे सवाल नहीं पूछते हैं। इसके बजाय हम उन्हें प्रोत्साहित करते हैं कि वे जो कहना चाहते हों, कहें। हम उनके सच्चे विचार सुनना चाहते हैं। हर इंटरव्यू के बाद हम उनके काम के बारे में उनके रवैए का मूल्यांकन कई बिंदुओं पर करते हैं।

            “मैंने इससे यह सीखा,” उसने आगे कहा, "हमारे कर्मचारी ए ग्रुप या बी ग्रुप में से किसी एक ग्रुप में फ़िट होते हैं और उनके किसी ग्रुप में फ़िट होने का आधार होता है अपने काम के बारे में उनका रवैया। “बी ग्रुप के लोग मुख्य तौर पर सुरक्षा, कंपनी की रिटायरमेंट योजनाओं, मेडिकल लीव की नीतियों, छुट्टी के समय, बीमा योजना में सुधार और ओवरटाइम के बारे में बात करते हैं। वे यह जानना चाहते है कि जिस तरह उन्हें पिछले मार्च में ओवरटाइम दिया गया था, क्या इस बार भी मार्च में उन्हें ओवरटाइम दिया जाएगा। वे अपनी नौकरी की मुश्किलों के बारे में भी काफ़ी बातें करते हैं। वे हमें विस्तार से बताते है कि उन्हें अपने साथी-कर्मचारियों की कौन सी बातें या आदतें पसंद नही हैं। कुल मिलाकर, बी ग्रुप के लोग - और इस ग्रुप में हमारे  गैर-उत्पादक स्टाफ के लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारी आते हैं-अपनी नौकरियों को आवश्यक बुराई समझते हैं।

           “अपनी नौकरी के बारे में ए ग्रुप के व्यक्ति का नजरिया बिलकुल अलग होता है। वह अपने भविष्य के बारे में चिंतित होता है। सुझाव देता है कि वह किस तरह अपने काम को और बेहतर तर कर सकता है। वह हमसे किसी और बात की उम्मीद नहीं करता हमसे सिर्फ अवसर चाहता है। ए ग्रुप के लोग बड़े पैमाने पर सोचते है। वे बिज़नेस सुधारने के सुझाव देते हैं। वे मेरे ऑफ़िस में होने वाले इंटर को रचनात्मक और लाभदायक समझते हैं। जबकि बी ग्रुप के लोग मानते हैं कि इंटरव्यू या हमारा पर्सनेल ऑडिट सिस्टम एक ब्रेनवॉशिंग अभियान है और इससे जैसे-तैसे छुटकारा पाकर वे खुश होते हैं।

           "किसी के रवैए का उसकी सफलता से क्या संबंध है, यह देखने का तरीका हमारे पास है। कर्मचारियों को प्रमोशन देना, उनकी तनख्वाह बढ़ाना और बाकी खास लाभ देने की जितनी भी सिफ़ारिशें होती हैं, वे सब मेरे पास आती हैं। हमेशा यही देखने में आया है कि लाभ देने की सिफारिशें ए ग्रुप के लोगों के लिए की जाती हैं। और हमेशा यही देखने में आया है कि जितनी भी समस्याएँ होती हैं, वे बी ग्रप के लोगों की तरफ से आती हैं।

            "मेरे काम में सबसे बड़ी चुनौती यह है," उसने कहा, "कि बी ग्रुप के लोगों को किस तरह प्रेरित किया जाए और उनकी किस तरह मदद। की जाए कि वे बी ग्रुप से ए ग्रुप में आ जाएँ। यह आसान नहीं है क्योंकि । जब तक व्यक्ति खुद अपनी नौकरी को महत्वपूर्ण नहीं समझे और अपन । काम के बारे में सकारात्मक विचार नहीं रखे, तब तक उसकी कोई मदद। नहीं की जा सकती।"

          यह इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि आप अपने बारे में जता सोचते हैं, आप वैसे ही होते हैं। आपकी विचार शक्ति आपको बता बना देती है। यह सोचें कि आप कमज़ोर हैं, यह सोचें कि आपम कम है, यह सोचें कि आप असफल हो जाएँगे, यह सोचें कि क्लास है- इस तरीके से सोचें और आप निश्चित रूप से असफल जिंदगी जीने के लिए विवश हो जाएंगे।

         परंतु इसके बजाय यह सोचें, मैं महत्वपूर्ण हूँ। मुझमें योग्यता है। मैं फर्स्ट-क्लास कर्मचारी हूँ। मेरा काम महत्वपूर्ण है। इस तरीके से सोचें और आप सफलता की चोटी पर पहुँच पाएँगे।

        जीतने का सीधा-सा तरीक़ा यह जानना है कि आप अपने बारे में सकारात्मक सोचकर अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। दूसरे लोग आपकी योग्यता का अनुमान आपके कामों से लगाते हैं। और आपके काम आपके विचारों से नियंत्रित होते हैं।

        आप जो सोचते हैं आप वही होते हैं।

       सुपरवाइज़र के पहलू से देखें और अपने आपसे पूछे कि आप किस व्यक्ति को प्रमोशन देंगे या किस व्यक्ति की तनख्वाह बढ़ाने की सिफ़ारिश करेंगे:

       1. उस सेक्रेटरी की, जो अपने बॉस के ऑफ़िस में न रहने पर मैग्ज़ीन पढ़ती है या उस सेक्रेटरी की जो इसी समय में अपने बॉस के छोटे-मोटे काम कर देती है ताकि वापस लौटने पर वह अपना काम बेहतर ढंग से कर सके?

       2. उस कर्मचारी को जो कहता है, “कोई परवाह नहीं, मुझे हमेशा दूसरी नौकरी मिल सकती है। अगर उन्हें मेरे काम का तरीक़ा पसंद नहीं आता, तो मैं यह काम छोड़ सकता हूँ।" या उस कर्मचारी को जो आलोचना को रचनात्मक रूप से लेता है और ज़्यादा अच्छा काम करने
का गंभीर प्रयास करता है?

        3. उस सेल्समैन को जो ग्राहक को बताता है, “अरे, मैं तो वही करता हूँ जो मुझसे करने के लिए कहा जाता है। उन्होंने कहा बाहर जाओ और देखो कि आपको कुछ चाहिए तो नहीं।" या उस सेल्समैन को जो कहता है, “मिस्टर ब्राउन, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?"

       4. उस फोरमैन को, जो किसी कर्मचारी से कहता है, "सच बात कहूँ, तो मैं अपने काम को ज़्यादा पसंद नहीं करता। ऊपर के लोग मेरी नाक में दम किए रहते हैं। आधे से ज्यादा समय तो मैं यह समझ ही नहीं पाता कि बॉस क्या बोल रहे है," या उस सुपरवाइज़र को जो कहता 
"किसी भी काम में कोई न कोई गड़बड़ बात तो होती ही है। परंत है आपको आश्वस्त कर दूँ। ऊपर के लोग काफ़ी समझदार हैं। वे हमारी समस्याएँ समझते हैं और हमारा भला चाहते हैं।"

       क्या इससे आपको यह पता नहीं चल जाता कि कई लोग सारी जिंदगी एक ही स्तर पर क्यों बने रहते हैं? उनकी सोच, और केवल उनकी सोच, ही उन्हें वहाँ बनाए रखती है।

        एक एड्वर्टाइज़िंग एक्जीक्यूटिव ने मुझे एक बार बताया कि किस तरह उसकी एजेंसी अपने नए, अनुभवहीन लोगों को अनौपचारिक प्रशिक्षण देती है।

        "कंपनी की नीति यह है," उसने कहा, "कि हम किसी भी नए युवक को शुरुआती सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण दें। आम तौर पर यह युवक कॉलेज ग्रैजुएट होता है और हम शुरू में इसे मेल ब्वॉय का काम सौंपते हैं। हम ऐसा इसलिए नहीं करते क्योंकि हमें एक ऑफ़िस से दूसरे ऑफ़िस में डाक पहुँचाने के लिए किसी कॉलेज ग्रैजुएट की ज़रूरत होती है। हमारा लक्ष्य यह होता है कि इस नए युवक को हमारी एजेंसी के सभी तरह के कामों का अनुभव हो जाए। जब वह यह काम अच्छी तरह से सीख लेता है तो हम उसे नया काम देते हैं।

           "कभी-कभार यह होता है कि जब हम उस नए युवक को बताते हैं कि उसे शुरुआत में डाक लाना और ले जाना है तो उसे लगता है कि डाकिए का काम करना छोटा और महत्वहीन है। जब ऐसा होता है, तो हम समझ जाते हैं कि हमने गलत व्यक्ति चन लिया है। अगर उसमें यह देखने की दूरदृष्टि नहीं है कि मेल ब्वॉय का काम सीखना ज़रूरी है, कि यह महत्वपूर्ण कार्यों की दिशा में पहला व्यावहारिक क़दम है, तो हमारा एजेंसी में उसका कोई भविष्य नहीं है।"

      याद रखें, एक्जीक्यूटिब्ज़ जब इस सवाल का जवाब सोचते है, उस स्तर पर वह व्यक्ति क्या करेगा? तो इसके पहले वे इस सवाल का जवाब ढूँढ़ते हैं, अभी वह जो काम कर रहा है, वह कैसा कर रहा हैं।

यहाँ पर एक तर्क दिया जा रहा है, जो दमदार, सीधा-सा और  आसान है। आगे पढ़ने से पहले इसे कम से कम पाँच बार पढ़ें :

वह व्यक्ति जो सोचता है कि उसका काम महत्वपूर्ण है

उसे मानसिक संकेत मिलते हैं कि वह बेहतर काम कैसे कर सकता है।

और बेहतर काम का मतलब होता है

ज्यादा प्रमोशन, ज़्यादा तनख्वाह, ज़्यादा प्रतिष्ठा, ज़्यादा सुख।

         हम सभी ने देखा होगा कि बच्चे किस तरह जल्दी से अपने माता-पिता के रवैए, आदतें, डर और रुचियों को सीख लेते हैं। चाहे भोजन की रुचि हो, व्यवहार के तरीके हों, धार्मिक और राजनीतिक विचार हों, या किसी और तरह का व्यवहार हो, बच्चा आम तौर पर अपने माँ-बाप की सोच का जीता-जागता प्रतिबिंब होता है; वह नक़ल करके सीखता है।

        और यही वयस्कों के साथ भी होता है। लोग जिंदगी भर दूसरों की नक़ल करते रहते हैं। वे अपने लीडर्स और सुपरवाइज़र्स की नक़ल करते हैं; उनके विचारों और कार्यों पर इन लोगों का बहुत प्रभाव पड़ता है। आप इसे आसानी से परख सकते हैं। अपने किसी दोस्त और उसके बॉस का अध्ययन करें और यह देखें कि दोनों की सोच और कार्यों में कितनी समानता है।

        आपका दोस्त इन क्षेत्रों में अपने बॉस की नक़ल कर सकता है : भाषा और शब्दों का चयन, सिगरेट पीने का तरीक़ा, चेहरे के कुछ भाव और आदतें, कपड़ों का चुनाव और कार का चयन। इसके अलावा और भी बहुत सारे क्षेत्रों में समानता दिखाई दे सकती है।

      
          नक़ल की शक्ति को देखने का एक और तरीक़ा कर्मचारियों के रवैए और “बॉस" के रवैए की तुलना करना है। अगर बॉस नर्वस,तनावग्रस्त, चिंतित होगा तो उसके क़रीबी सहयोगी भी इसी तरह के होंगे। परंतु जब मिस्टर बॉस सफल महसूस करते हैं, अच्छा महसूस करते हैं तो उनके कर्मचारी भी सफल और अच्छा महसूस करते हैं।

        इससे हमें यह शिक्षा मिलती है : हम अपने काम के बारे में जिस तरह सोचते हैं, उससे यह तय होता है कि हमारे अधीनस्थ अपने काम के बारे में किस तरह सोचेंगे।

      हमारे अधीनस्थों का काम के बारे में जो रवैया होता है, वह काम के बारे में हमारे अपने रवैए का प्रतिबिंब होता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हमारे अच्छे-बुरे रवैए का असर हमारे अधीनस्थों के  रवैया पर पड़ता है, जिस तरह कि किसी बच्चे पर अपने माँ-बाप के रवैए का असर पड़ता है।

      सफल लोगों के सिर्फ एक गुण पर ध्यान केंद्रित करें- उत्साह। कभी आपने देखा कि डिपार्टमेंट के उत्साही सेल्समैन ने आपको, यानी ग्राहक को, किसी सामान के बारे में ज्यादा रोमांचित कर दिया हो। या कभी आपने गौर किया कि किसी उत्साही धर्मोपदेशक या वक्ता ने अपने श्रोताओं को उत्साही और सजग बना दिया ? अगर आपमें उत्साह होगा. तो आपके आस-पास के लोगों में भी उत्साह होगा।

      परंतु आप अपने भीतर उत्साह किस तरह भर सकते हैं। मूलभूत कदम आसान है- उत्साहपूर्वक सोचें। हमेशा आशावादी, प्रगतिशील विचार रखें, “यह बहुत बढ़िया काम है और मैं यह काम कर सकता हूँ।"

        आप जो सोचते हैं, आप वही होते हैं। उत्साह के बारे में सोचें और आप उत्साही बन जाएँगे। अपने अधीनस्थों से अच्छी क्वालिटी का काम करवाने के लिए आपको उस काम के बारे में उत्साही होना पड़ेगा। दूसर। भी आपके उत्साह को देखकर उत्साहित हो जाएंगे और आपका काम बढ़िया ढंग से हो जाएगा।

         परंतु, अगर आप नकारात्मक रूप से अपनी कंपनी को खर्च सप्लाई, समय और दूसरे छोटे-छोटे तरीकों से "धोखा" देते हैं, तो आप अपने अधीनस्थों से क्या उम्मीद कर सकते हैं? अगर आप देर सजा आएंगे और जल्दी चले जाएँगे तो आप अपने “कर्मचारियो उम्मीद रखेंगे?

        हमें अपने काम के बारे में सही रवैया इसलिए भी रखना चाहिए ताकि हमारे अधीनस्थ अपने काम के बारे में सही रवैया रख सके। हमार सुपीरियर हमारे काम की क्वालिटी और क्वांटिटी का मूल्यांकन करते समय उसी काम का मूल्यांकन करते हैं, जो हमारे अधीनस्थों ने किया है।

       इसे इस तरह से देखें - आप किसे डिवीज़न सेल्स मैनेजर का प्रमोशन देंगे - उस ब्रांच सेल्स मैनेजर को जिसके सेल्समैन बढ़िया काम कर रहे हैं या उस ब्रांच सेल्स मैनेजर को जिसके सेल्समैन केवल औसत प्रदर्शन कर रहे हैं? या आप किसे प्रॉडक्शन मैनेजर के पद पर प्रमोशन देंगे - उस सुपरवाइज़र को जो अपने उत्पादन के लक्ष्य को पूरा कर लेता है, या उस सुपरवाइज़र को जिसका डिपार्टमेंट लक्ष्य से काफ़ी पीछे रहता है ?

         यहाँ दो सुझाव दिए जा रहे हैं जिनकी मदद से आप दूसरों से अच्छा और ज़्यादा काम करवा सकते हैं :

      1. हमेशा अपने काम के बारे में सकारात्मक रवैया रखें ताकि आपके अधीनस्थ भी “सीख लें" कि काम के बारे में इस तरह से सोचना चाहिए ।

        
      2. जब आप हर दिन काम पर जाएँ, तो खुद से पूछे, “क्या मैं ऐसा हूँ जिससे सामने वाला कुछ सीख ले सके? क्या मेरी आदतें ऐसी हैं जो मैं अपने अधीनस्थों में देखना चाहूँगा?"

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