Monday, October 7, 2019

CHAPTER 11.3 हार को जीत में कैसे बदलें?

      परंतु ऑरविल हबार्ड ने अपनी पराजयों का अध्ययन किया। उन्होंने इसे अपनी राजनीतिक शिक्षा का हिस्सा माना। और आज वे स्थानीय सरकार के सबसे मॅझे हुए, सबसे अपराजेय राजनेताओं में से एक हैं।

     क़िस्मत को दोष देने के बजाय, अपनी असफलताओं का विश्लेषण करें। अगर आप हार जाते हैं, तो सीखें। ज्यादातर लोग जिंदगी में अपनी असफलताओं का विश्लेषण करते समय “बदकिस्मती", "दर्भाग्य" "क़िस्मत' या "तक़दीर" को दोष देते हैं। यह लोग बच्चों की तरह अपरिपक्व होते हैं और सहानुभूति की तलाश करते हैं। और चूँकि उन्हें अपनी ग़लती का एहसास ही नहीं होता, इसलिए वे ज़्यादा बड़े, ज्यादा मज़बूत और ज़्यादा आत्म-निर्भर होने के अवसर देखने में असफल रहते हैं।

          किस्मत को दोष देना बंद कर दें। क़िस्मत को दोष देने से कोई व्यक्ति वहाँ नहीं पहुंचा जहाँ वह पहुँचना चाहता था।

         मेरा एक दोस्त साहित्यिक सलाहकार, लेखक और आलोचक है। उसने मुझसे हाल ही में एक सफल लेखक के गुणों के बारे में चर्चा की।

         “बहुत से भावी लेखक," उसने बताया, "लिखने के बारे में गंभीर नहीं रहते। वे कुछ समय तक कोशिश करते हैं, परंतु जब उन्हें पता चलता है कि इसमें मेहनत करनी पड़ती है, असली काम करना पड़ता है, तो वे लिखना छोड़ देते हैं। मैं इन लोगों को नहीं झेल पाता क्योंकि ये लोग किसी शॉर्टकट की तलाश में रहते हैं, जबकि ऐसा कोई शॉर्टकट होता ही नहीं है।

         "परंतु,” उसने आगे कहा, "मैं यह नहीं कहना चाहता कि केवल लगन ही पर्याप्त होती है। वास्तव में केवल लगन काफ़ी नहीं होती।'

         “अभी हाल में एक ऐसे व्यक्ति से मिला जिसने 62 कहानियाँ लिखी हैं, परंतु उनमें से एक भी नहीं छपी। स्पष्ट रूप से, वह लेखक बनने के अपने लक्ष्य के प्रति लगनशील है। परंतु इस व्यक्ति के साथ समस्या यह है कि वह हर कहानी एक ही तरह से लिखता है। उसने अपनी कहानियों के लिए एक फ़ॉर्मूला बना लिया है। वह अपनी सामग्री के साथ कोई प्रयोग नहीं करता- उसके प्लॉट और पात्र, यहाँ तक कि उसकी शैली भी नहीं बदलती। मैं अब इस लेखक को यह सिखाने की कोशिश कर रहा हूँ कि वह नई शैलियों और नई तकनीकों को सीखे। उसमें प्रतिभा है और अगर वह कुछ प्रयोगशीलता सीख ले, तो मुझे विश्वास है कि लेखक के रूप में वह सफल हो सकता है। परंतु जब तक वह ऐसा नहीं करता, तब तक उसे एक के बाद एक रिजेक्शन स्लिप मिलती रहेगी।"

        के साहित्यिक सलाहकार की सलाह अच्छी थी। हममें लगन होना चाहिए, परंतु लगन सफलता के तत्वों में से सिर्फ एक तत्व है। हम कोशिश कर सकते हैं. बार-बार लगातार कोशिश कर सकते हैं और इसके बावजूद हम असफल हो सकते हैं जब तक कि हममें लगन और
प्रयोगशीलता का तालमेल न हो।

         एडीसन के बारे में कहा जाता है कि वे अमेरिका के सर्वाधिक लगनशील वैज्ञानिकों में से एक थे। यह बताया गया है कि बिजली के बल्ब की खोज से पहले उन्होंने हज़ारों प्रयोग किए। परंतु यह ध्यान दें : एडीसन में लगन के साथ ही प्रयोगशीलता भी थी। वे बिजली के बल्ब को विकसित करने के अपने लक्ष्य में जुटे रहे। परंतु उन्होंने लगन के साथ प्रयोगशीलता को भी मिला दिया।

         एक ही दिशा में लगन से जुटे रहना सफलता की गारंटी नहीं है। परंतु लगन और प्रयोगशीलता के समन्वय से सफलता की गारंटी मिल जाती है।

         मैंने हाल ही में तेल खोजने की प्रक्रिया के बारे में एक लेख पढ़ा। इसमें लिखा गया था कि तेल का कुँआ खोदने से पहले तेल कंपनियाँ चट्टानों का सर्वे करती हैं। परंतु उनके वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद भी आठ में से सात कुँए सूखे निकलते हैं। तेल कंपनियाँ अपनी तेल की खोज में तो लगनशील रहती हैं, परंतु वे एक ही कुँए को मूर्खतापूर्ण गहराई तक खोदने में नहीं जुटी रहतीं। इसके बजाय जब कॉमन सेन्स से वे यह जान लेती हैं कि पुराने कुँए से तेल नहीं निकलेगा, तो वे एक नए कुँए को खोदने का प्रयोग करने लगती हैं।

         कई महत्वाकांक्षी लोग जीवन में प्रशंसनीय लगनशीलता और महत्वाकांक्षा के साथ जिंदगी भर जुटे रहते हैं, परंतु वे कभी इसलिए सफल नहीं हो पाते क्योंकि उनमें प्रयोगशीलता नहीं होती, वे नई शैलियों का प्रयोग नहीं कर पाते। अपने लक्ष्य को बनाए रखें। इसे एक इंच भी इधर-उधर न हिलाएँ। परंतु अपने सिर को किसी दीवार से भी न फोड़ें। अगर आपको परिणाम नहीं मिलते हैं, तो किसी दूसरे तरीके का इस्तेमाल करें।


        जिन लोगों में बुलडॉग जैसी लगनशीलता होती है, जो एक बार किसी चीज़ को पकड़ लेने पर उसे नहीं छोड़ते हैं, उनमें सफलता का एक मूलभूत तत्व होता है। यहाँ दो सुझाव दिए जा रहे हैं जिनसे आप प्रयोगशीलता सीख सकते हैं, और लगनशीलता के साथ इसके समन्वय के बाद आप आसानी से सफल हो सकते हैं।


        1. खुद को बताएँ, “कोई तरीका है।" विचारों में चुंबकीय शक्ति होती है। जैसे ही आप खुद को बताते हैं, "मैं हार गया हूँ। मैं इस समस्या से नहीं जीत सकता," आप नकारात्मक विचारों को आकर्षित करते हैं, और इनमें से प्रत्येक विचार आपको यह विश्वास दिलाता है कि आप सही हैं, कि आप वास्तव में हार चुके हैं।

        इसके बजाय यह विश्वास करें, “इस समस्या को सुलझाने का कोई तो रास्ता होगा।" और तत्काल आपके दिमाग में सकारात्मक विचार आने लगेंगे, जिससे आपको समस्या सुलझाने में मदद मिलेगी।

       "कोई न कोई तरीक़ा तो है" यह सोचना, यह विश्वास करना सचमुच महत्वपूर्ण है।

        विवाह परामर्शदाता भी विवाह को नहीं बचा सकते जब तक कि एक या दोनों जीवनसाथी यह न सोचें कि एक बार फिर साथ रहना संभव है। मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि कोई शराबी तब तक शराबी ही बना रहेगा जब तक कि उसे यह यक़ीन न हो जाए कि वह शराब की आदत को छोड़ सकता है।

       इस साल हज़ारों नई कंपनियाँ बनेंगी। पाँच साल बाद इनमें से बहुत कम कंपनियाँ ही बची रह पाएँगी। असफल होने वाली ज़्यादातर कंपनियाँ यही कहेंगी, “प्रतियोगिता बहुत ज़्यादा थी। हमारे पास छोड़ देने के सिवा कोई विकल्प ही नहीं था।" असली समस्या यह है कि जब ज्यादातर लोगों के सामने मुश्किलें या बाधाएँ आती हैं, तो वे केवल पराजय के बारे में ही सोचते हैं और इसी कारण वे हार जाते हैं।


         जब आप मानते हैं कि कोई न कोई तरीक़ा तो होगा, तो आप अपने आप नकारात्मक ऊर्जा (चलिए, हम छोड़ देते हैं, हम हार मान लेते हैं) को सकारात्मक ऊर्जा (हमें आगे बढ़ना चाहिए, हमें जुटे रहना चाहिए) में बदल लेते हैं।

        कोई भी समस्या या मुश्किल तभी तक पहाड़ जैसी लगेगी, जब आप इसे पहाड़ जैसा समझेंगे। अगर आप मानते हैं कि यह नहीं सुलझ सकती, तो यह सचमुच नहीं सुलझेगी। यह विश्वास रखें कि यह सुलझ सकती है और इसके बाद आपके मन में इसके समाधान अपने आप आने लगेंगे। यह असंभव है, ऐसा कभी न तो सोचें, न ही कहें।

       2. पीछे हटें, और फिर से शुरू करें। अक्सर हम इतने लंबे समय तक किसी समस्या के इतने क़रीब रहते हैं कि हम नए समाधान या नई शैलियों को नहीं देख पाते।

         मेरे एक इंजीनियर दोस्त को एक नई एल्युमीनियम इमारत की डिज़ाइन बनाने का काम मिला। इस तरह की कोई चीज़ या इससे मिलती-जुलती कोई चीज़ या उसकी डिज़ाइन अब तक किसी ने नहीं बनाई थी। मैं इस दोस्त से कुछ दिन पहले मिला और मैंने उससे पूछा कि उसकी नई बिल्डिंग का क्या हाल है।

        "बहुत अच्छा नहीं," उसने जवाब दिया। "मुझे लगता है कि मैंने इन गर्मियों में अपने बगीचे में पर्याप्त समय नहीं दिया है। जब मैं लंबे समय तक डिज़ाइनिंग की कठिन समस्याओं में उलझा रहता हूँ, तो मुझे इससे बाहर निकलने की ज़रूरत होती है, क्योंकि बाहर निकलने के बाद ही मेरे मन में नए विचार आते हैं।"

         "आपको यह जानकर आश्चर्य होगा," उसने आगे कहा, "कई इंजीनियरिंग के विचार तो मेरे मन में तब आते हैं जब मैं पेड़ के करीब बैठकर घास पर पानी डाल रहा होता हूँ।"

        राष्ट्रपति आइज़नहॉवर से एक बार किसी पत्रकार वार्ता में पूछा गया कि वे इतनी छुट्टियाँ क्यों मनाते हैं। उनका जवाब उन लोगों के बहुत काम का है जो अपनी रचनात्मक योग्यता बढ़ाना चाहते हैं। आइज़नहॉवर ने कहा, "मैं नहीं मानता कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह जनरल मोटर चला रहा हो या देश, अपनी मेज़ पर बैठकर या ढेर सारे कागज़ों के बीच मुँह छिपाकर अपने काम को अच्छी तरह से कर सकता है। वास्तव में प्रेसिडेंट को अपना दिमाग़ फ़ालतू की चीज़ों से मुक्त रखना चाहिए। उसे मूलभूत सिद्धांतों और मुख्य मुद्दों पर अपना खुद का चिंतन करते रहना चाहिए... ताकि वह स्पष्ट सोच सके और बेहतर निर्णय ले सके।"

           मेरा एक भूतपूर्व बिज़नेस सहयोगी अपनी पत्नी के साथ हर महीने 72 घंटे की छुट्टियाँ मनाने शहर से बाहर जाता है। उसका मानना है कि इस तरह पीछे हटने और नए सिरे से शुरू करने से उसकी मानसिक क्षमता बढ़ जाती है और वह अपने ग्राहकों को अधिक लाभ पहुंचा पाता है। 

          जब आपकी राह में बाधा आए, तो पूरे प्रोजेक्ट को कूड़ेदान में न डाल दें। इसके बजाय, पीछे हटें, मानसिक रूप से खुद को तरोताज़ा कर लें। संगीत सुनें या टहलें या झपकी ले लें। इसके बाद जब आप उस समस्या का सामना करेंगे तो आपके कुछ सोचने से पहले ही आपके सामने इसका समाधान अपने आप आ जाएगा।

        बड़ी परिस्थितियों में भी अच्छे पहलू को देखना लाभदायक होता है। एक युवक ने मुझे बताया कि जब उसकी नौकरी छूटी तो उसने अच्छे पहलू को देखने पर ध्यान केंद्रित किया। उसने बताया, “मैं एक बड़ी क्रेडिट रिपोर्टिंग कंपनी के लिए काम कर रहा था। एक दिन मुझे नौकरी से हटाए जाने का नोटिस थमा दिया गया। मंदी का दौर चल रहा था और कंपनी उन कर्मचारियों को हटा रही थी, जो उसके लिए 'कम महत्वपूर्ण' थे।

          "नौकरी में मुझे तनख्वाह तो बहुत ज्यादा नहीं मिलती थी, परंतु फिर भी मेरे हिसाब से यह अच्छी थी। मुझे कई घंटे तक तो बहुत बुरा लगता रहा, परंतु फिर मैंने यह फैसला किया कि मैं इस बारे में सकारात्मक तरीके से सोचूंगा। दरअसल मुझे यह नौकरी ख़ास पसंद नहीं थी और अगर मैं यहीं बना रहता, तो मैं ज़्यादा तरक्क़ी नहीं कर सकता था। अब मैं कोई ऐसी नौकरी ढूँढ़ सकता जो मुझे पसंद हो। जल्दी ही मुझे मेरी मनचाही नौकरी मिल गई, और अच्छी बात तो यह थी कि यहाँ मेरी तनख्वाह भी ज्यादा थी। क्रेडिट कंपनी से निकाला जाना मेरे लिए बहुत अच्छा साबित हुआ।"

       याद रखें, आप किसी भी परिस्थिति में वही देखते हैं, जो आप देखना चाहते हैं। अच्छे पहलू को देखें और हार को जीत में बदल लें। अगर आप स्पष्ट दृष्टि विकसित कर लेते हैं, तो सारी चीजें आपके लिए अच्छा काम करेंगी।

                      संक्षेप में

सफलता और असफलता में फ़र्क इस बात का होता है कि असफलता, बाधा, निराशाजनक स्थितियों और हतोत्साहित करने वाली बातों के प्रतिआपका रवैया क्या है।

        हार को जीत में बदलने के लिए यह पाँच सिद्धांत काम में लाएँ:

1. असफलता का अध्ययन करें, ताकि आप सफलता की राह पर आगे बढ़ सकें। जब आप हारें, तो उस हार से सबक सीखें और फिर अगली बार जीतने की तैयारी करें।

2. अपने खुद के रचनात्मक आलोचक बनने का साहस रखें। अपनी गलतियाँ और कमज़ोरियाँ खोजें और फिर उन्हें सुधारें। इससे आप प्रोफ़ेशनल बन जाएँगे।

3. क़िस्मत को दोष देना बंद कर दें। हर असफलता का विश्लेषण करें। यह पता लगाएँ कि गलती कहाँ हुई थी। याद रखें, तक़दीर को दोष देने से कोई व्यक्ति वहाँ नहीं पहुंचा, जहाँ वह पहुँचना चाहता था।

4. लगनशीलता के साथ प्रयोगशीलता का समन्वय कर लें। अपने लक्ष्य को बनाए रखें, परंतु पत्थर की दीवार से अपना सिर न टकराते रहें। नई शैलियों का प्रयोग करें। प्रयोगशील बनें।

5. याद रखें, हर स्थिति का एक अच्छा पहलू होता है। इसे खोजें, अच्छे पहलू को देखें और आप एक बार फिर उत्साह से भर जाएँगे।

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