Friday, August 16, 2019

CHAPTER 2.3. बुद्धि के बहानासाइटिस के इलाज के तीन तरीके

        


         बुद्धि के बहानासाइटिस के इलाज के तीन तरीके

बुद्धि के बहानासाइटिस के इलाज के तीन आसान तरीके हैं :

          1. अपनी खुद की बुद्धि को कभी कम न आँके और दूसरों की बुद्धि को कभी ज़रूरत से ज्यादा न आँकें। अपनी सेवाओं को सस्ते में न बेचें। अपने अच्छे बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें। अपने गुणों को खोजें। याद रखें, महत्व इस बात का नहीं है कि आपमें कितनी बुद्धि है। महत्व तो इस बात का है कि आप अपने दिमाग़ का किस तरह इस्तेमाल करते हैं। इस बात पर सिर न धुनें कि आपका आई क्यू कम है, बल्कि अपनी मानसिकता को सकारात्मक करें।

        2. अपने आपको बार-बार याद दिलाएँ, “मेरी बुद्धि से ज्यादा महत्वपूर्ण है मेरा नज़रिया।” नौकरी पर और घर पर सकारात्मक नज़रिए का अभ्यास करें। काम टालने के तरीके खोजने के बजाय काम करने के तरीके खोजें। अपने आपमें “मैं जीत रहा हूँ" का रवैया विकसित करें। अपनी बुद्धि का रचनात्मक और सकारात्मक प्रयोग करें। अपनी बुद्धि का प्रयोग इस तरह करें कि आप जीत सकें। अपनी  बुद्धि का दुरुपयोग अपनी असफलता के अच्छे बहाने खोजने में न करें।

         3. याद रखें कि तथ्यों को रटने से ज्यादा महत्वपूर्ण और बहुमूल्य है सोचने की योग्यता। अपने दिमाग को रचनात्मक बनाएँ और नए-नए विचार आने दें। काम करने के नए और बेहतर तरीके खोजते रहें। खुद से पूछे, “क्या मैं अपनी मानसिक क्षमता का उपयोग इतिहास रचने में कर रहा हूँ या इतिहास रटने में?" -

        4. “कोई फायदा नहीं। मेरी उम्र ज़्यादा (या कम) है।" उम्र का बहानासाइटिस असफलता की एक ऐसी बीमारी है जिसमें दोष उम्र के मत्थे मढ़ दिया जाता है। इसके दो आसानी से पहचाने जाने वाले रुप हैं: 'मेरी उम्र ज़्यादा है' का रूप और 'मेरी उम्र अभी बहुत कम है' का ब्रांड। 

        आपने हर उम्र के सैकड़ों लोगों को अपनी असफलताओं के बारे में इस तरह की बातें करते सुना होगा : “इस काम में सफल होने के लिए मेरी उम्र बहुत ज़्यादा (या बहुत कम) है। अपनी उम्र के कारण ही मैं वह नहीं कर सकता जो मैं करना चाहता हूँ या जो करने में मैं सक्षम हूँ।"

        यह आश्चर्यजनक है परंतु बहुत कम लोग ऐसा महसूस करते हैं कि उनकी उम्र किसी काम के लिए “बिलकुल सही" है। इस बहाने ने हज़ारों लोगों के लिए सच्चे अवसर के दरवाजे बंद कर दिए हैं। वे सोचते हैं कि उनकी उम्र ही ग़लत है, इसलिए वे कोशिश करने की जहमत भी नहीं उठाते।

         उम्र के बहानासाइटिस का सबसे लोकप्रिय रूप है “मेरी उम्र ज्यादा है।" यह बीमारी बहुत सूक्ष्म तरीके से फैलाई जाती है। टीवी के सीरियलों में दिखाया जाता है कि जब कंपनी के विलय के कारण किसी एक्जीक्यूटिव की नौकरी छूट जाती है, तो वह बेरोज़गार हो जाता है। उसे कहीं भी नौकरी नहीं मिल पाती, क्योंकि उसकी उम्र ज्यादा हो चुकी है। मिस्टर एक्जीक्यूटिव महीनों तक नौकरी की तलाश करते हैं, परंतू उन्हें नौकरी नहीं मिलती और इस दौरान वे कुछ समय तक आत्महत्या के विकल्प पर विचार करते हैं और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं
कि अब खुद को रिटायर समझ लेने में ही समझदारी है।

      “चालीस के बाद आपकी जिंदगी में मुश्किलें क्यों बढ़ जाती हैं," यह विषय नाटकों और पत्रिकाओं के लेखों में लोकप्रिय है, इसलिए नहीं क्योंकि इसमें सच्चे तथ्य हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि बहाना ढूँढ़ने वाले बहुत से लोग इसी तरह के नाटक देखना चाहते हैं और इसी तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं।

उम्र के बहानासाइटिस का इलाज क्या है

उम्र के बहानासाइटिस का इलाज किया जा सकता है। कुछ साल पहले जब मैंने एक सेल्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का संचालन किया था, तो मैंने एक अच्छे सीरम की खोज की थी जो इस बीमारी का इलाज तो करता ही था, साथ ही यह भी सुनिश्चित करता था कि यह बीमारी आपको कभी न हो।

        इस प्रोग्राम में सेसिल नाम का एक प्रशिक्षु था। चालीस वर्षीय सेसिल निर्माता का प्रतिनिधि बनना चाहता था, परंतु सोचता था कि उसकी उम्र ज्यादा हो चुकी है। उसने कहा, "मुझे शुरू से सब कुछ करना पडेगा। और अब मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ? अब मैं चालीस बरस का हो गया हूँ।"

        मैंने “ज्यादा उम्र की समस्या" पर सेसिल के साथ कई बार बात की। मैंने परानी दवा का इस्तेमाल किया, 'आपकी उम्र उतनी ही होती है. जितना आप समझते हैं।' परंतु मैंने पाया कि उसका मर्ज़ इस दवा से ठीक नहीं हो रहा है। (ज़्यादातर लोग इसके जवाब में कहते हैं, “परंत
मैं अपने आपको बूढ़ा समझता हूँ!")


       अंततः, मैंने एक ऐसा तरीक़ा खोज लिया जो जादू की तरह काम कर गया। एक दिन मैंने सेसिल से कहा, "ससिल, मुझे यह बताओ कि किसी आदमी की रचनात्मक उम्र कब शुरू होती है ?" |


        उसने एक-दो सेकंड तक सोचने के बाद जवाब दिया, "लगभग 20 साल की उम्र में।"

       “अच्छा," मैंने कहा, “और अब मुझे यह बताओ कि किसी आदमी की रचनात्मक उम्र कब ख़त्म होती है?"

         सेसिल ने जवाब दिया, “मुझे लगता है कि अगर वह तंदुरुस्त है और अपने काम को पसंद करता है तो कोई आदमी 70 साल की उम्र तक रचनात्मक कार्य कर सकता है।"

          "ठीक है," मैंने कहा, “बहुत से लोग 70 साल के बाद भी बहुत से रचनात्मक कार्य करते हैं, परंतु मैं आपसे सहमत हो जाता हूँ कि किसी आदमी के रचनात्मक कार्य करने की उम्र 20 से 70 साल के बीच होती है। और इस दौरान उसके पास 50 साल यानी कि आधी सदी होती है। "सेसिल," मैंने कहा, "आप अभी चालीस साल के हैं। आपकी रचनात्मक ज़िंदगी कितनी ख़त्म हो चुकी है ?"

        “बीस साल," उसने जवाब दिया।


        “और आपकी रचनात्मक ज़िंदगी अभी कितनी बाक़ी है ?" |


        "तीस साल," उसने जवाब दिया।

        "दूसरे शब्दों में, सेसिल, आपने अभी आधा रास्ता भी तय नहीं किया है। आपने अभी अपने रचनात्मक वर्षों का सिर्फ 40 प्रतिशत हिस्सा ही पूरा किया है।"

         मैंने सेसिल की तरफ़ देखा और यह महसूस किया कि यह बात उसके दिल को छू गई थी। उसकी उम्र का बहानासाइटिस तत्काल दूर हो गया। सेसिल ने देखा कि उसके सामने अभी बहुत से अवसरपूर्ण वर्ष मौजूद हैं। अभी तक वह सोचता था, “मैं तो अब बूढ़ा हो चला हूँ," परंतु अब वह सोचने लगा, "मैं अब भी युवा हूँ।" सेसिल ने अब महसूस किया कि हमारी उम्र कितनी है, इस बात का कोई खास महत्व नहीं होता। दरअसल, उम्र के बारे में हमारा नज़रिया ही हमारे लिए वरदान या शाप बन जाता है।

         उम्र के बहानासाइटिस का इलाज करने से आपके लिए अवसरों के वे बंद दरवाज़े खुल जाएंगे जिन पर इस बीमारी की वजह से ताला लगा हुआ था। मेरे एक रिश्तेदार ने अलग-अलग तरह के काम करने में अपने कई साल बर्बाद किए- जैसे सेल्समैनशिप, अपना बिज़नेस करना. बैंको काम करना- परंतु वह यह तय नहीं कर पाया कि वह क्या करना चाहता था या उसे कौन सा काम पसंद था। आखिरकार, वह इस नतीजे पर पहुँचा कि वह पादरी बनना चाहता था। परंतु जब उसने इस बारे में सोचा तो उसने पाया कि उसकी उम्र ज्यादा हो चुकी है। अब वह 45 वर्ष का था. उसके तीन बच्चे थे और उसके पास पैसा भी ज़्यादा नहीं था।

        परंतु सौभाग्य से उसने अपनी पूरी ताक़त जुटाई और खुद से कहा. "चाहे मेरी उम्र पैंतालीस साल हो या पैंसठ साल, मैं पादरी बनकर
दिखाऊँगा।"

          उसके पास आस्था का भंडार था, और इसके सिवा कुछ नहीं था। उसने विस्कॉन्सन में 5 वर्षीय धर्मशास्त्र प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपना नाम लिखवा लिया। पाँच साल बाद वह पादरी बन गया और इलिनॉय के चर्च में अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हुआ।

          बूढ़ा ? बिलकुल नहीं। अभी तो उसके सामने 20 वर्ष की रचनात्मक ज़िंदगी बाक़ी थी। मैं इस आदमी से हाल ही में मिला था और उसने मुझे बताया, “अगर मैंने 45 वर्ष की उम्र में इतना बड़ा फैसला नहीं किया होताbतो मेरी बाकी ज़िंदगी दुःख भरी होती। जबकि अभी मैं अपने आपको उतना ही युवा समझता हूँ जितना कि मैं 25 वर्ष पहले था।"

           और उसकी उम्र कम लग भी रही थी। जब आप उम्र के बहानासाइटिस को हरा देते हैं, तो इसका स्वाभाविक परिणाम यह होता है कि आपमें युवावस्था का आशावाद आ जाता है और आप युवा दिखने भी लगते हैं। जब आप उम्र की सीमाओं के अपने डर को जीत लेते हैं तो आप अपनी जिंदगी में कुछ साल तो जोड़ ही लेते हैं, अपनी सफलता में भी कुछ साल जोड़ लेते हैं।

             यूनिवर्सिटी के मेरे एक पुराने सहयोगी ने मुझे ऐसा दिलचस्प तरीका बताया जिससे उम्र के बहानासाइटिस को हराया जा सकता था। बिल ने हार्वर्ड से बीस के दशक में ग्रैजुएशन किया था। 24 साल तक स्टॉक ब्रोकर रहने के बाद बिल ने यह फैसला किया कि वह कॉलेज प्रोफ़ेसर बनेगा। बिल के दोस्तों ने उसे चेतावनी दी कि यह बहुत मेहनत का काम है और उससे इस उम्र में उतनी मेहनत नहीं होगी। परंतु बिल ने अपने लक्ष्य को हासिल करने का पक्का इरादा कर लिया था और उसने 51 वर्ष की उम्र में यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉय में दाखिला लिया। 55 वर्ष की उम्र में उसे डिग्री मिली। आज बिल एक बढ़िया आर्टस कॉलेज में डिपार्टमेंट ऑफ़
इकॉनोमिक्स का चेयरमैन है। वह सुखी भी है। वह मुस्कराते हुए कहता है, “अभी तो मेरी जिंदगी के एक तिहाई बेहतरीन साल बाक़ी हैंl"

          ज़्यादा उम्र का बहाना असफलता देने वाली बीमारी है। इसे हराएँ, वरना यह आपको हरा देगी।

            कोई आदमी ज़्यादा छोटा कब होता है ? “मेरी उम्र अभी बहुत कम है" भी उम्र के बहानासाइटिस का एक ऐसा प्रकार है जिसने कई लोगों का भविष्य चौपट कर दिया है। लगभग एक साल पहले जेरी नाम का 23 वर्षीय युवक मेरे पास एक समस्या लेकर आया। जेरी सर्विस में एक पैराट्रपर था और इसके बाद वह कॉलेज गया था। कॉलेज जाते-जाते भी जेरी ने अपने पत्नी और बच्चों की खातिर एक बड़ी ट्रांसफ़र-एंड-स्टोरेज कंपनी के लिए सेल्समैन का काम किया। उसने बहुत बेहतरीन काम किया। कॉलेज में भी और कंपनी में भी।

            परंतु आज जेरी चिंतित था। “डॉ. श्वार्ट्ज़," उसने कहा, “मेरी एक समस्या है। मेरी कंपनी ने मुझे सेल्स मैनेजर बनाने का फैसला किया है। इससे मैं आठ सेल्समैनों का सुपरवाइज़र बन जाऊँगा।"

          मैंने कहा, "बधाइयाँ, यह तो बहुत बढ़िया बात है। फिर तुम इतने परेशान क्यों दिख रहे हो?"

           उसने जवाब दिया, “मुझे जिन आठ लोगों का सुपरवाइज़र बनाया गया है. वे सभी मुझसे सात साल से लेकर इक्कीस साल तक बड़े हैं। मुझेऐसे में क्या करना चाहिए? क्या मैं यह काम ठीक से कर सकता हूँ?"

          "जेरी," मैंने कहा, "तुम्हारी कंपनी का जनरल मैनेजर तो यही समझता है कि तुम यह काम ठीक से कर पाओगे वरना वह तुम्हें सुपरवाइज़र बनाता ही क्यों। सिर्फ तीन बातें याद रखो और हर चीज़ ठीक हो जाएगी। पहली बात तो यह कि उम्र पर ध्यान ही मत दो। खेत में कोई बच्चा तभी आदमी माना जाता है जब वह यह साबित कर देता है कि वह आदमी के बराबर काम कर सकता है। उसकी उम्र से इसका कोई लेना-देना नहीं होता। और यही तुम्हें भी साबित करना होगा। जब तुम यह साबित कर दोगे कि तुम सेल्स मैनेजर के काम को अच्छी तरह से कर सकते हो, तो तुम अपने आप उतने बड़े हो जाओगे।

          “दूसरी बात, अपने 'प्रमोशन' पर कभी इतराने की कोशिश मत करना। सेल्समैनों के प्रति सम्मान दिखाना। उनसे सलाह लेना। उन्हें यह महसूस कराना कि वे एक टीम के कप्तान के साथ काम कर रहे हैं, किसी तानाशाह के साथ नहीं। अगर तुम ऐसा करोगे, तो वे लोग तुम्हारे
साथ काम करेंगे, न कि तुम्हारे विरुद्ध।

          "तीसरी बात, इस बात की आदत डाल लो कि तुमसे ज्यादा उम्र वाले लोग तुम्हारे अधीन काम करें। हर क्षेत्र का लीडर जल्दी ही यह जान लेता है कि उसकी उम्र अपने कई अधीनस्थों से कम है। इसलिए इस बात की आदत डाल लो। यह आगे आने वाले सालों में तुम्हारे काफ़ी काम आएगी, जब तुम्हें और भी बड़े अवसर मिलेंगे।

          "और याद रखो, जेरी, तुम्हारी उम्र तुम्हारी सफलता की राह में कभी बाधा नहीं बनेगी, जब तक कि तुम खुद उसे बाधा न बनाओ।"

        आज जेरी का काम बढ़िया चल रहा है। उसे ट्रांसपोर्टेशन बिज़नेस पसंद है और कुछ ही सालों में वह अपनी खुद की कंपनी शुरू करने की योजना बना रहा है।

          कम उम्र तभी बाधा बनती है, जब आप खुद ऐसा सोचते हैं। आप अक्सर सुनते होंगे कि कई कामों में "काफ़ी" शारीरिक परिपक्वता की जरूरत होती है जैसे सिक्युरिटीज़ या बीमा बेचने में। किसी निवेशक का विश्वास जीतने के लिए या तो आपके बाल सफ़ेद होने चाहिए या फिर आपके सिर पर बाल ही नहीं होने चाहिए- ऐसा सोचना सरासर मर्खता है। असली महत्व तो इस बात का है कि आप अपना काम कितनी अच्छी तरह से करते हैं। अगर आप अपने काम पर पकड़ रखते हैं, लोगों को समझते हैं तो आप पर्याप्त परिपक्व हैं। उम्र का योग्यता से कोई सीधा संबंध नहीं होता जब तक कि आप खुद को यह यकीन न दिला दें कि उम्र और केवल उम्र ही आपको सफलता या असफलता दिला सकती है।

           कई युवा लोग यह महसूस करते हैं कि वे अपनी कम उम्र के कारण जिंदगी की दौड़ में पीछे हैं। हो सकता है कि किसी ऑफ़िस में कोई असुरक्षित आदमी या वह आदमी जिसे अपनी नौकरी छूटने का डर हो, आपके आगे बढ़ने की राह में रोड़े डाले। और हो सकता है कि वह आपकी उम्र का और आपके अनुभव की कमी का ज़िक्र भी करे।

           परंतु आपको ऐसे असुरक्षित लोगों की बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है। कंपनी के मालिक, कंपनी के मैनेजर ऐसा नहीं सोचेंगे। वे आपको उतनी ज़िम्मेदारी देंगे, जितनी कि आप निभा सकें। यह साबित करें कि आपमें योग्यता है, सकारात्मक रवैया है और आपकी कम । उम्र एक लाभ के रूप में गिनी जाएगी।

         संक्षेप में, उम्र के बहानासाइटिस के इलाज यह हैं :

         1. अपनी वर्तमान उम्र के बारे में सकारात्मक सोच रखें। यह सोचें, "मैं अभी भी युवा हूँ;" यह न सोचें, “मैं अब बूढ़ा हो चुका हूँ।" नए लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश करते रहें। ऐसा करेंगे तो आपमें मानसिक उत्साह आ जाएगा और आप अधिक युवा भी दिखने लगेंगे।

         2. हिसाब लगाएँ कि आपके पास कितना रचनात्मक समय बचा है। याद रखें, तीस साल के आदमी के पास अपने जीवन का 80 प्रतिशत रचनात्मक समय शेष है। और 50 साल के आदमी के पास अब भी 40 प्रतिशत समय है- शायद सर्वश्रेष्ठ समय तो अभी आना शेष है। ज़्यादातर लोग जितना सोचते हैं, ज़िंदगी दरअसल उससे लंबी होती है!

        3. भविष्य में वह काम करें जो आप सचमुच करना चाहते हों। जब आप अपने दिमाग को नकारात्मक कर लेते हैं और सोचते हैं कि अब तो समय निकल चुका है, तभी आपके हाथ से समय सचमुच निकलता है। यह सोचना छोड़ दें, "मुझे यह काम सालों पहले शुरू कर देना चाहिए था।" यह असफलता की सोच है। इसके बजाय यह सोचें, “मैं अब शुरू करने जा रहा हूँ, मेरे सर्वश्रेष्ठ वर्ष अभी बाक़ी हैं।" सफल लोग इसी तरीके से सोचते हैं।

         4. "परंतु मेरा मामला अलग है। मेरी तो किस्मत ही खराब है।" हाल ही में, मैंने सड़क दुर्घटनाओं के बारे में एक ट्रैफ़िक इंजीनियर की बातें सुनीं। उसका कहना था कि हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 40,000 लोग मर जाते हैं। उसकी चर्चा का मुख्य बिंदु यह था कि शायद ही कभी कोई सच्ची दुर्घटना होती हो। हम जिसे दुर्घटना मानते हैं, वह दरअसल किसी मानवीय या मशीनी गड़बड़ी का परिणाम होती है।

         यह ट्रैफिक विशेषज्ञ जो बात कह रहा था, उसका मूल भाव दार्शनिक और चिंतक हमें सदियों से सिखाते आ रहे हैं: हर चीज़ का कोई न कोई कारण होता है। कोई भी चीज़ बिना कारण के नहीं होती। आज बाहर जो मौसम है, वह भी दुर्घटनावश नहीं है। वह किन्हीं विशेष
कारणों से वैसा है। और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि इंसान के मामले इस नियम का अपवाद है।

          परंतु शायद ही कोई दिन ऐसा गुज़रता हो जब हम किसी को अपनी "बदकिस्मती" को दोष देते न सुनते हों। और वह दुर्लभ दिन ही होगा जब आप किसी दूसरे आदमी की सफलता के बारे में उसकी “अच्छी" किस्मत की दुहाई न सुनें।

          मैं आपको एक उदाहरण से समझाना चाहता हूँ कि लोग किस तरह क्रिस्मत के बहानासाइटिस से पीड़ित होते हैं। मैंने तीन युवा जूनियर एक्जीक्यूटिब्ज के साथ हाल ही में लंच लिया। उस दिन चर्चा का मुख्य बिंदु था जॉज सी. का प्रमोशन। कल तक जॉर्ज इन्हीं लोगों की तरह जूनियर एक्जीक्यूटिव था। आज उसे प्रमोशन मिल गया था।

          जॉर्ज को प्रमोशन क्यों मिला? इन तीनों लोगों ने इस मुद्दे का पोस्टमार्टम किया और बहुत से कारण खोज निकाले : अच्छी किस्मत, मक्खनपॉलिश, प्रेशर, और जॉर्ज की पत्नी का सोर्स, यानी सच्चाई को छोड़कर हर बात कही गई। सच्चाई यह थी कि जॉर्ज इस प्रमोशन के लिए सबसे ज़्यादा योग्य था। वह अपने काम को बेहतर तरीके से कर रहा था। वह ज्यादा मेहनत से काम कर रहा था। वह अधिक प्रभावी और कार्यकुशल व्यक्ति था।

           मैं यह भी जानता था कि उस कंपनी के सीनियर ऑफिसर्स ने काफ़ी सोच-विचार किया था कि इन चारों में से किसे प्रमोशन मिले। मेरे इन तीन निराश दोस्तों को यह समझना चाहिए था कि कंपनी के सीनियर ऑफिसर्स जब प्रमोशन देते हैं, तो वे चारों नाम लिखकर टोपी में से किसी एक का नाम नहीं निकालते हैं।

           मैं मशीन के पुर्जे बनाने वाली कंपनी के सेल्स एक्जीक्यूटिव से किस्मत केबहानासाइटिस के बारे में बातें कर रहा था। वह समस्या को सनकर रोमांचित हो गया और उसने मुझे अपने जीवन का एक किस्सा नाका सुनाया।

          "मैंने इसका यह नाम तो पहले कभी नहीं सुना,” उसका कहना था, "परंतु हर सेल्समैन इस गंभीर समस्या से जूझता है। कल ही हमारी कंपनी में जो घटना हुई, उससे आपको एक बढ़िया उदाहरण मिल जाएगा।

          "हमारा एक सेल्समैन चार बजे मशीन के पुों का एक बड़ा ऑर्डर लेकर आया। ऑर्डर 112,000 डॉलर का था। दूसरा सेल्समैन उस वक्त वहीं ऑफ़िस में खड़ा हुआ था। इस सेल्समैन का माल इतना कम बिकता था कि वह कंपनी पर बोझ बनता जा रहा था। जब जॉन ने अच्छी ख़बर सुनाई तो उसने ईर्ष्या भरी बधाइयाँ तो दी, परंतु साथ में यह भी कहा, 'जॉन, एक बार फिर तुम्हारी किस्मत अच्छी रही!' ।

           "देखने वाली बात यह है कि यह कमज़ोर सेल्समैन यह मानने को तैयार ही नहीं था कि जॉन के बड़े ऑर्डर से किस्मत का कोई लेना-देना नहीं था। जॉन उस ग्राहक पर कई महीनों से मेहनत कर रहा था। उसने वहाँ आधा दर्जन लोगों से लंबी और बार-बार चर्चाएँ की थीं। जॉन रातों को योजनाएँ बनाया करता था कि वह किस तरह यह ऑर्डर हासिल कर सकता था। फिर उसने हमारे इंजीनियरों के साथ बैठकर उस यंत्र के शुरुआती डिज़ाइन बनवाए। जॉन खुशकिस्मत नहीं था; जब तक कि आप सुनियोजित काम करने के तरीके को किस्मत का नाम न दें।"

            अगर किस्मत के सहारे हम जनरल मोटर्स को एक बार फिर से गठित करें। अगर किस्मत ही यह तय करे कि कौन आदमी मैनेजर बनेगा और कौन चपरासी. तो इस देश का हर बिज़नेस चौपट हो जाएगा। एक मिनट के लिए कल्पना करें कि जनरल मोटर्स को हम किस्मत के सहारे पूरी तरह पुनर्गठित करें। इस काम के लिए हम एक बक्से में सभी कर्मचारियों के नाम की पर्ची डाल दें। पर्ची उठाने पर जिसके नाम की पहली पर्ची खुलेगी, उसे हम प्रेसिडेन्ट बना देंगे, दूसरे नाम वाले को वाइस प्रेसिडेन्ट और इसी क्रम से हम नीचे की तरफ़ आते जाएँगे।

          यह मूर्खतापूर्ण लगता है, नहीं क्या? परंतु किस्मत जब काम करती है, तो इसी तरह से करती है।

          जो लोग किसी भी व्यवसाय में चोटी पर पहुँचते हैं, चाहे वह बिज़नेस मैनेजमेंट हो, सेल्समैनशिप हो, कानून, इंजीनियरिंग, अभिनय या और कोई क्षेत्र हो, वे इसलिए चोटी पर पहुँचते हैं, क्योंकि उनका नज़रिया उत्कृष्ट होता है और वे साथ में कड़ी मेहनत भी करते हैं।

           क़िस्मत के बहानासाइटिस को दो तरीक़ों से जीतें

           1. कारण और परिणाम के नियम को स्वीकार करें। जब आपको लगे कि कोई आदमी "खुशकिस्मत" है तो ज़रा गौर से देखें। तब आपको यह दिखेगा कि जिसे आप पहली नज़र में अच्छी किस्मत समझे थे, दरअसल वह तैयारी, योजना और सफलता के नज़रिए का परिणाम है। इसी तरह किसी आदमी की "बदकिस्मती" को भी गौर से देखें। आपको उसके पीछे भी कुछ कारण मिलेंगे। मिस्टर सफल को जब झटका लगता है, तो वे उससे कुछ सीखते हैं और उससे लाभ उठाते हैं। परंतु जब मिस्टर असफल हारते हैं, तो वे अपनी असफलता से कुछ नहीं सीखते और बहाने बनाते रहते हैं।

            2. कभी भी दिवास्वप्न न देखें। अपनी मानसिक ऊर्जा को ऐसे सपने देखने में ज़ाया न करें जिसमें बिना मेहनत के सफलता हासिल की जा सकती हो। हम किस्मत के सहारे सफल नहीं होते। सफलता उन चीज़ों को करने से आती है और उन सिद्धांतों में पारंगत होने से मिलती है जो सफल में सहायक होते हैं। प्रमोशन, जीत, जीवन की अच्छी चीज़ों में किस्मत का सहारा न लें। किस्मत से ये चीजें नहीं मिला करतीं। इसके बजाय, आप अपने आपमें ऐसे गुण विकसित करें कि आप सचमुच एक विजेता बन जाएँ।

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