Monday, July 1, 2019

CHAPTER 1.3 विश्वास करें कि आप       सफल हो सकते हैं और आप हो जाएँगे

    

        विश्वास की शक्ति को किस तरह विकसित करें

विश्वास की शक्ति को प्राप्त करने और विश्वास को दृढ़ बनाने के लिए तीन उपाय किए जा सकते हैं :

         1.   सफलता की बात सोचें, असफलता की बात न सोचें। नौकरी में, घर में, असफलता की जगह सफलता के बारे में सोचें। जब आपके सामने कोई कठिन परिस्थिति आए, तो सोचे "मैं जीत जाऊँगा, यह न सोचें "शायद मैं हार जाऊँगा।" जब आप किसी से प्रतियोगिता करें, तो सोचें, "मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ", यह न सोचें “मैं उसके जितना योग्य नहीं हूँ।” जब अवसर नज़र आए, तो सोचें “मैं यह कर सकता हूँ," यह न सोचे “मैं इसे नहीं कर सकता।" अपनी चिंतन प्रक्रिया पर इस विचार को हावी हो जाने दें, “मैं सफल होकर दिखाऊँगा।” सफलता के बारे में सोचने से आपका दिमाग़ ऐसी योजना बना लेता है जिससे आपको सफलता मिलती है। असफलता के बारे में सोचने से इसका ठीक उल्टा होता है असफलता के बारे में चिंतन करने से आपका दिमाग ऐसे विचार सोचता है, जिन से आपको असफलता हाथ लगती है।


           2. अपने आपको बार-बार याद दिलाएँ कि आप जितना समझते हैं, आप उससे कहीं बेहतर हैं। सफल लोग सुपरमैन नहीं होते। सफलता के लिए सुपर-इन्टेलेक्ट का होना ज़रूरी नहीं है। न ही सफलता के लिए किसी जादुई शक्ति या रहस्यमयी तत्व की आवश्यकता होती है। और सफलता का भाग्य से भी कोई संबंध नहीं होता। सफल लोग साधारण लोग ही होते हैं, पर ऐसे लोग होते हैं जिन्हें अपने आप पर विश्वास है, अपनी क्षमताओं पर विश्वास है और जो मानते हैं कि वे सफल हो सकते हैं। कभी भी, हाँ, कभी भी, खुद को सस्ते में न बेचें।

           3. बड़ी सोच में विश्वास करें। आपकी सफलता का आकार कितना बड़ा होगा, यह आपके विश्वास के आकार से तय होगा। अगर आपके लक्ष्य छोटे होंगे, तो आपकी उपलब्धियाँ भी छोटी होंगी। अगर आपके लक्ष्य बड़े होंगे, तो आपकी सफलता भी बड़ी होगी। एक बात कभी न भूलें! बड़े विचार और बड़ी योजनाएँ अक्सर छोटे विचारों और छोटी योजनाओं से आसान होते हैं। 

जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के चेयरमैन राल्फ जे. कॉर्डिनर ने लीडरशिप कॉन्फ्रेंस में कहा था, "... जो भी लीडर बनना चाहता है, उसे स्वयं के और स्वयं की कंपनी के विकास की योजना बना लेनी चाहिए और इसका दृढ़ निश्चय कर लेना चाहिए। कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति के विकास का आदेश नहीं दे सकता ... कोई व्यक्ति दौड़ में आगे रहेगा या पीछे रह जाएगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी तैयारी कैसी है। यह ऐसी चीज़ है जिस में समय लगता है, मेहनत लगती है और इस में त्याग की आवश्यकता होती है। आपके लिए यह कोई दूसरा नहीं कर सकता।”


          मिस्टर कॉर्डिनर की सलाह में दम है और यह व्यावहारिक है। इस पर चलें। जो लोग बिज़नेस मैनेजमेंट, सेल्स लाइन, इंजीनियरिंग, धार्मिक संस्थाओं, लेखन, अभिनय और दूसरे क्षेत्रों में चोटी पर पहुँचते हैं वे निष्ठा और लगन के साथ आत्म-विकास की योजना पर चलकर ही वहाँ पहुँच पाए हैं।


किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में - और यही इस पुस्तक का लक्ष्य भी है - तीन बातें होनी चाहिए। इसमें सामग्री होनी चाहिए - यानी क्या किया जाए। दूसरी बात यह कि इसमें तरीक़ा होना चाहिए - यानी कैसे किया जाए। और तीसरी बात यह कि इसे एसिड टेस्ट में खरा उतरना चाहिए - यानी कि इससे परिणाम मिलना चाहिए।


          क्या किया जाए, इस बारे में सफलता का आपका व्यक्तिगत प्रशिक्षण कार्यक्रम सफल लोगों के रवैए और तकनीकों के अध्ययन से संबंधित है। वे किस तरह स्वयं को सफल बनाते हैं ? वे किस तरह बाधाओं का सामना करते हैं और उन्हें पार करते हैं? वे किस तरह दूसरों का सम्मान प्राप्त करते हैं ? कौन सी चीज़ है जो उन्हें साधारण लोगों से अलग करती है ? सफल लोग किस तरह सोचते हैं ?


      आत्म-विकास कैसे किया जाए, वाला हिस्सा आपकी कार्ययोजना बनाएगा। यह हर अध्याय में मिलेगा। इससे काम को दिशा मिलती है। इस पर अमल करें और इसके परिणामों को स्वयं महसूस करें।


       और इस पुस्तक में इस प्रशिक्षण के सबसे महत्वपूर्ण भाग यानी कि परिणामों पर भी ध्यान दिया गया है। यहाँ पर जो कार्यक्रम दिया जा रहा है, अगर आप उसे अमल में लाते हैं तो आपको ऐसी सफलता मिलेगी और इतने बड़े पैमाने पर मिलेगी जिसकी आपने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी। सफलता के आपके व्यक्तिगत प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपको कई लाभ होंगे- आपका परिवार आपका ज्यादा सम्मान करने लगेगा, आपके मित्र और आपके सहयोगी आपकी प्रशंसा करने लगेंगे, आप अधिक उपयोगी होंगे, आपके पास प्रतिष्ठा होगी, लोकप्रियता होगी, ज्यादा तनख़्वाह होगी और आप बेहतर जीवनशैली का आनंद ले पाएँगे।


            अपने को सिखाने का ज़िम्मा आप ही का है। कोई दूसरा व्यक्ति आपके सिर पर खड़ा रहकर आपको यह नहीं बताएगा कि आपको क्या करना है और कैसे करना है। यह पुस्तक आपको रास्ता दिखाएगी, परंतु आप और केवल आप ही स्वयं को समझ सकते हैं। केवल आप ही स्वयं को यह आदेश दे सकते हैं कि आप इस पुस्तक में दिए गए सिद्धांतों पर चलेंगे। केवल आप ही अपनी प्रगति का मूल्यांकन कर सकते हैं। जब आप अपने रास्ते से थोड़ा सा भटक जाएँ, तो केवल आप ही अपनी ग़लती सुधारकर सही रास्ते पर आ सकते हैं। सौ बात की एक बात, आपको ही स्वयं को इस योग्य बनाना है कि आप बड़ी से बड़ी सफलता प्राप्त कर सकें।


          आपके पास पहले से ही एक ऐसी प्रयोगशाला है जिसमें आप काम करते हैं और अध्ययन करते हैं। आपकी प्रयोगशाला आपके आस-पास ही है। आपकी प्रयोगशाला में इंसान रहते हैं। इस प्रयोगशाला में मानवीय कार्यों के हर तरह के उदाहरण हैं। अगर आप अपनी इस प्रयोगशाला में स्वयं को वैज्ञानिक समझ लें तो आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। और इससे भी बड़ी बात यह कि यहाँ आपको कुछ ख़रीदना नहीं पड़ता। इसका कोई किराया नहीं देना पड़ता। यहाँ किसी तरह की फ़ीस नहीं लगती। आप इस प्रयोगशाला का उपयोग मुफ्त में कर सकते हैं।


          अपनी प्रयोगशाला के डायरेक्टर के रूप में, आपको वही करना होगा जो हर वैज्ञानिक करता है- आपको अवलोकन और प्रयोग करना होगा।


          क्या आपको इस बात से हैरानी नहीं होती कि हमारे चारों तरफ़ जिंदगी भर इतने सारे लोग रहते हैं, फिर भी ज्यादातर लोग यह नहीं जान पाते कि इंसान के व्यवहार के पीछे क्या कारण होते हैं ? ज्यादातर लोग यह जानते ही नहीं कि अवलोकन कैसे किया जाता है। इस पुस्तक का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य आपको यह सिखाना भी है कि आप अवलोकन कैसे करें, इंसान के कामों के पीछे छुपे कारणों को किस तरह समझें। आप स्वयं से यह सवाल पूछ सकते हैं, “ऐसा क्यों है कि जॉन इतना सफल है, जबकि टॉम सिर्फ दिन काट रहा है ?” “कुछ लोगों के इतने सारे दोस्त क्यों होते हैं, जबकि कई लोगों के बहुत कम दोस्त क्यों होते हैं ?” “लोग एक व्यक्ति की कही बातों पर विश्वास क्यों कर लेते हैं, जबकि वे किसी दूसरे व्यक्ति की कही हुई उसी बात पर विश्वास क्यों नहीं   करते ?”


       एक बार आप प्रशिक्षित हो जाएँ, तो आपको केवल अवलोकन करने की आसान प्रक्रिया से ही बहुमूल्य सबक़ सीखने को मिलेंगे।


       यहाँ दो विशेष सुझाव दिए गए हैं, जिनके माध्यम से आप अवलोकन की कला सीख सकते हैं। आप अपने आस-पास के दो सबसे सफल और सबसे असफल लोगों को अध्ययन के लिए चुनें। फिर, जैसे-जैसे आप यह पुस्तक पढ़ते जाएँ, यह देखें कि आपका सफल मित्र किस तरह सफलता के इन सिद्धांतों पर चलता है। यह भी देखें कि इस तरह के दोनों लोगों के अध्ययन से आप स्वयं इस पुस्तक में दिए गए सिद्धांतों की सच्चाई को परख सकेंगे।


       दूसरे व्यक्ति के साथ किसी भी तरह के संपर्क में आपको सफलता के सिद्धांत आज़माने का मौक़ा मिलता है। आपका लक्ष्य यह होना चाहिए कि आप सफलता की कार्ययोजना बनाने की आदत डाल लें। हम जितना ज़्यादा अभ्यास करेंगे, हम उतनी ही जल्दी सफल होंगे।



       हममें से ज्यादातर लोगों के ऐसे दोस्त होते हैं जिन्हें गार्डनिंग का शौक होता है। और हम सब ने इस तरह की बातें सुनी हैं, “पौधों को बढ़ते हुए। देखना कितना रोमांचक होता है। किस तरह खाद-पानी से वे तेज़ी से बढ़ते। हैं। पिछले सप्ताह वे जितने बड़े थे, आज वे उस से कितने ज्यादा बड़े हो गए हैं।”



        निश्चित रूप से, जब आदमी सावधानी से प्रकृति के साथ समन्वय कर लेता है तो इसके परिणाम रोमांचक होते हैं। परंतु अगर आप सावधानी से विचार-मैनेजमेंट कार्यक्रम पर चलेंगे, तो इसके परिणाम उससे दस गुना अधिक रोमांचक होंगे। यह देखना सुखद होगा कि आप हर महीने, हर दिन ज्यादा आत्मविश्वासी, ज़्यादा प्रभावशाली, ज्यादा सफल बनते जाएँ। जीवन में कोई दूसरी चीज़ आपको इतनी संतुष्टि नहीं दे सकती, जितना यह जानना कि आप सफलता और उपलब्धि की सही राह पर चल रहे हैं। और इस राह पर चलने के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि आप अपनी क्षमताओं का अधिकतम लाभ उठाएँ।

Share:

Recommended Business Books

Buy Books

Featured Post

CHAPTER 13.6 सोचें तो लीडर की तरह

      साम्यवाद के कूटनीतिक रूप से चतुर कई लीडर्स - लेनिन, स्तालिन और कई अन्य - भी काफ़ी समय तक जेल में रहे, ताकि बिना किसी बाहरी चिंता क...