Friday, September 13, 2019

CHAPTER 5.3. क्या आपको नहीं लगता कि ऐसा करने से आपको फायदा होगा


क्या आपको नहीं लगता कि ऐसा करने से आपको फायदा होगा? दो क़दम की इस तकनीक को देखें:



1. ज़्यादा काम करने के अवसर को उत्साहपूर्वक स्वीकार करें। नईज़िम्मेदारी के लिए आपसे पूछा जा रहा है, इससे यह साबित होता है कि आपके बॉस को आपकी क्षमता पर भरोसा है। अपनी नौकरी में ज़्यादा ज़िम्मेदारी लेने से आप बाक़ी लोगों से अलग दिखते हैं और इससे पता चलता है कि आप उनसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। जब आपके पड़ोसी आपसे किसी मामले में पहल करने को कहें, तो उनकी बात मान लें। इससे आपको समाज में लीडर बनने में मदद मिलती है।

2. इसके बाद, इस बात पर ध्यान केंद्रित करें, “मैं इस काम को किस तरह और ज़्यादा कर सकता हूँ?" आपको इस सवाल के रचनात्मक जवाब मिल जाएँगे। कुछ जवाब इस तरह के होंगे कि आप अपने वर्तमान काम को योजनाबद्ध तरीके से करें या अपनी रोज़मर्रा की गतिविधियों का शॉर्टकट ढूँढ़े या महत्वहीन कामों को करना पूरी तरह छोड़ दें। परंतु, मैं इस बात को दोहराना चाहता हूँ, ज़्यादा काम करने के रास्ते आपको मिल ही जाएँगे।

          मैंने अपने जीवन में इस अवधारणा को पूरी तरह स्वीकार कर लिया है - अगर आप कोई काम करवाना चाहते हैं, तो इसे किसी व्यस्त आदमी को दे दें। मैं महत्वपूर्ण काम ऐसे आदमियों को नहीं देता जिनके पास बहुत सा खाली समय है। मैंने दुःखद अनुभव से सीखा है कि वह आदमी जिसक पास बहुत फुरसत होती है, वह कभी अच्छा काम नहीं कर पाता।

       में जितने भी सफल, योग्य व्यक्तियों को जानता हूँ वे सभी बेहद व्यस्त हैं। जब मैं उनके साथ कोई प्रोजेक्ट शुरू करता हूँ, तो मैं जानता हूँ कि यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा।

मैंने दर्जनों उदाहरण देखे हैं कि मैं किसी व्यस्त आदमी से समय पर  काम करवा सकता है। परंतु जिन लोगों के पास 'दुनिया भर का समय है मैं उनसे समय पर काम नहीं करवा पाया हैं। ऐसे लोगों के साथ काम करने का मेरा अनुभव निराशाजनक ही रहा है।

         प्रगतिशील बिज़नेस मैनेजमेंट लगातार पछता है, “हम किस तरह अपने आउटपुट को, अपने उत्पादन को बढ़ा सकते हैं?" आप खुद से क्यों नहीं पूछते, "में किस तरह अपने आउटपुट को, अपने उत्पादन को बढा सकता हूँ?" आपका दिमाग़ अपने आप ऐसे रचनात्मक उपाय बता देगा कि ऐसा किस तरह किया जा सकता है।

          सभी तरह के सैकड़ों लोगों के इंटरव्यू लेने के बाद मैंने यह खोज की है : जो आदमी जितना बड़ा होता है, वह आपको बोलने का उतना ही ज़्यादा मौक़ा देता है; जो आदमी जितना छोटा होता है, वह आपके सामने उतना ही ज़्यादा बोलता है।

         बड़े लोग लगातार सुनते हैं।

          छोटे लोग लगातार बोलते हैं।

         यह भी नोट करें : हर क्षेत्र में चोटी के लीडर्स सलाह सुनने में ज़्यादा समय लगाते हैं, सलाह देने में कम समय लगाते हैं। जब कोई लीडर निर्णय लेता है तो वह पूछता है, “आप इस बारे में क्या सोचते हैं ?" “आपका सुझाव क्या है ?” “आप इन परिस्थितियों में क्या करते ?" “आपको यह कैसा लगता है ?"

          इसे इस तरीके से देखें : लीडर निर्णय लेने वाली एक इंसानी मशीन है। किसी भी चीज़ के उत्पादन के लिए कच्चे माल की ज़रूरत होती है। रचनात्मक निर्णय के उत्पादन के लिए दूसरों के विचार और सुझाव ही कच्चा माल होते हैं। इस बात की उम्मीद न करें कि दूसरे लोग आपको रेडीमेड समाधान सझा देंगे। उनसे सलाह लेने का और उनके सुझाव सुनने का यह उद्देश्य नहीं होता। दूसरे लोगों के विचार सुनने से आपके दिमाग में नए विचार आते हैं जिनसे साबित होता है कि आपका दिमाग ज्यादा रचनात्मक हो चुका है।

          हाल ही में मैंने एक एक्जीक्यूटिव मैनेजमेंट सेमिनार में एक स्टाफ़ इन्स्ट्रक्टर के रूप में भाग लिया। सेमिनार बारह सत्रों का था। हर सत्र में एक एक्जीक्यूटिव आकर 15 मिनट का लेक्चर देता था, "मैंने अपनी ज़िंदगी की सबसे महत्वपूर्ण मैनेजमेंट समस्या को किस तरह सुलझाया ?"

          नवें सत्र में एक एक्जीक्यूटिव ऐसा आया, जो एक बड़ी मिल्क प्रोसेसिंग कंपनी में वाइस-प्रेसिडेन्ट था। इस एक्जीक्यूटिव का लेक्चर ज़रा हटकर था। यह बताने के बजाय कि उसने अपनी समस्या को किस तरह सुलझाया, उसने अपने लेक्चर का टॉपिक रखा “ज़रूरत है : मेरी सबसे बड़ी मैनेजमेंट समस्या को सुलझाने के लिए मदद की।” उसने अपनी समस्या को बताया और फिर हम लोगों से इसे सुलझाने के संबंध में विचार माँगे। उसे बहुत सारे विचार दिए गए और उसने उन सभी विचारों को एक स्टेनोग्राफ़र से लिखवा लिया।

          बाद में मैंने इस व्यक्ति से चर्चा की और उसकी अद्भुत तकनीक पर उसे बधाई दी। उसका कहना था, “इस समूह में बहुत से बुद्धिमान लोग हैं। मैंने यही सोचा कि क्यों न उनकी बुद्धिमत्ता का लाभ उठाया जाए। इस बात की काफ़ी संभावना है कि किसी ने उस सत्र के दौरान ऐसा कुछ कहा हो जिससे मुझे समस्या सुलझाने में मदद मिले।"

          यह ध्यान रखें : एक्जीक्यूटिव ने समस्या बताने के बाद लोगों की बातें सुनीं। इस तरह उसे निर्णय पर पहुँचने के लिए कच्चा माल मिल गया और उसे यह लाभ भी हुआ कि जनता को उसके लेक्चर में मज़ा आ गया क्योंकि इसमें उन्हें सक्रिय होने का, अपना योगदान देने का मौका मिल गया।

        सफल बिज़नेस कंपनियाँ ग्राहकों के सर्वेक्षण में काफ़ी रकम खर्च करती हैं। वे लोगों से किसी सामान के स्वाद, क्वालिटी, आकार और सजावट के बारे में कई तरह के सवाल पछती हैं। लोगों की राय जानने से उन्हें यह तय करने में मदद मिलती है कि इस सामान को ज्यादा बेचन योग्य किस तरह बनाया जा सकता है। इससे निर्माता यह भी जान जाता है कि वह किस तरह के विज्ञापन दे, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उस सामान खरीदें। सफल उत्पादों को विकसित करने का तरीका यह । आप जितने विचार जान सकें, जानने की कोशिश करें। सामान वाले लोगों की राय जानें और फिर उस सामान को बेचने का कोई ऐसा तरीक़ा खोजें जिससे वह सामान ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को भा जाए।

          एक ऑफ़िस में मैंने एक पोस्टर लगा देखा जिस पर लिखा था, "जॉन ब्राउन को कोई सामान बेचने के लिए आपको चीज़ों को जॉन ब्राउन की नज़रों से देखना होगा।” और जॉन ब्राउन की नज़रों से चीज़ों को देखने के लिए आपको जॉन ब्राउन की बातों को सुनना होगा।

         आपके कान आपके दिमाग के वॉल्व हैं। वे आपके दिमाग में कच्चा माल डालते हैं जिसे आप रचनात्मक ऊर्जा में बदल सकते हैं। हम बोलने से कुछ नया नहीं सीखते। परंतु हम पूछने और सुनने से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

         पूछने और सुनने के माध्यम से अपनी रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए इस तीन-स्तरीय कार्यक्रम को आज़माएँ :

        1. दूसरे लोगों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। व्यक्तिगत चर्चा में या समूह बैठकों में लोगों से ऐसे आग्रह करें, “मुझे अपना अनुभव बताएँ...” या “आपको क्या लगता है इस बारे में क्या किया जाना चाहिए...?” “आपको क्या लगता है सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है ?" दूसरे लोगों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करें और इससे आपको दो फ़ायदे होंगे : आपका दिमाग़ उस कच्चे माल को सोख लेगा जिसे आप रचनात्मक विचार में बदल सकते हैं। इसके अलावा आपके बहुत सारे दोस्त भी बन जाएँगे। अगर आप लोगों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो दोस्त बनाने का इससे बढ़िया कोई दूसरा तरीक़ा हो ही नहीं सकता।

         2. अपने विचारों को दूसरों के सामने सवालों के रूप में रखें। दूसरे लोगों को मौक़ा दें कि वे आपके विचारों को बेहतर शक्ल दें। आप-इस-बारे-में-क्या-सोचते हैं की शैली में सुझाव दें। हठधर्मी न बनें। किसी नए विचार को इस तरह प्रस्तुत न करें जैसे यह सीधा आसमान ल से आया हो। पहले थोड़ा-सा अनौपचारिक शोध कर लें। देखें कि इस विचार के बारे में आपके साथियों की क्या प्रतिक्रिया है। अगर आप ऐसा करते हैं, तो यक़ीनन आपका विचार पहले से बेहतर हो जाएगा।

        3. सामने वाला जो कह रहा है, उसे ध्यान से सुनें। सुनने का मतलब यही नहीं होता कि आप अपना मुँह बंद रखें। सुनने का मतलब है कि जो कहा जा रहा है, आपका पूरा ध्यान उसी तरफ है। ज्यादातर लोग सुनने के बजाय सुनने का नाटक करते हैं। वे सामने वाले की बात खत्म
होने का इंतज़ार करते हैं, ताकि वे अपनी बात कहना शुरू कर सकें। सामने वाले की बात पूरे ध्यान से सुनें। उसका मूल्यांकन करें। इसी तरह आप अपने दिमाग के लिए कच्चा माल इकट्ठा कर सकते हैं।

         अधिकांश प्रसिद्ध विश्वविद्यालय सीनियर बिज़नेस एक्जीक्यूटिब्ज़ के लिए एडवांस्ड मैनेजमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम्स आयोजित कर रहे हैं। प्रायोजकों के अनुसार इन कार्यक्रमों का लक्ष्य इन एक्जीक्यूटिव्ज़ को रेडीमेड फॉर्मूले देना नहीं, बल्कि नए विचारों के आदान-प्रदान का अवसर देना है। यहाँ एक्जीक्यटिब्ज कॉलेज के हॉस्टल में एक साथ रहते हैं, जिससे उनमें आपसी विचार-विमर्श ज़्यादा अच्छी तरह होता है। संक्षेप में, एक्जीक्यूटिब्ज़ को इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि उन्हें नए विचार करने की प्रेरणा मिलती है।

          एक साल पहले मैंने अटलांटा के सेल्स मैनेजमेंट स्कूल में एक सप्ताह में दो सत्र आयोजित किए जिन्हें नेशनल सेल्स एक्जीक्यटिज़ इन्क ने प्रायोजित किया था। कुछ सप्ताह बाद में एक सेल्समैन मित्र से मिला जिसके मैनेजर ने उस प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया था

          "स्कूल में आपने हमारे सेल्स मैनेजर को बहुत सारी बातें सिखा दी हैं कि कंपनी को बेहतर तरीके से कैसे चलाया जा सकता है।" मेरे युवा मित्र ने कहा। उत्सुकतावश, मैंने उससे पूछा कि वह विस्तार से बताए कि उसे अपने मैनेजर में क्या बदलाव दिखे। मेरे मित्र ने कई बातें गिना दीं- कंपन्सेशन प्लान में सुधार, महीने में एक बार की जगह दो बार सेल्स मीटिंग्स, नए बिज़नेस कार्ड्स और स्टेशनरी, सेल्स टेरिटरी का पुनर्गठन- और मज़े की बात यह थी कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में इनमें से किसी का भी सीधे उल्लेख नहीं किया गया था। सेल्स मैनेजर को डिब्बाबंद तकनीक नहीं दी गई थीं। इसके बजाय, उसने कुछ ज़्यादा बहुमूल्य सीखा, यह सीखा कि दूसरों के विचारों से वह किस तरह अपने विचार उत्प्रेरित कर सकता है ताकि उसे और उसकी कंपनी को फायदा हो।

             पेंट निर्माता के यहाँ काम करने वाले एक युवा अकाउंटेंट ने मुझ बताया कि दूसरों के विचारों को सुनने के कारण उसे एक बार बहुत सफलता मिली थी।

           “मैंने रियल एस्टेट में कभी ज़्यादा रुचि नहीं ली," उसने मुझे बताया। “मैं कई सालों से प्रोफेशनल अकाउंटेंट हूँ और मैं अपने काम से काम रखता हूँ। एक दिन एक रिएल्टर मित्र ने मुझे शहर के रियल एस्टेट समूहों के साथ लंच के लिए बुलाया।

           "उस दिन का वक्ता एक वृद्ध आदमी था जिसने शहर को बढ़ते हुए देखा था। उसकी चर्चा का विषय था, 'अगले बीस साल।' उसने यह भविष्यवाणी की कि कुछ ही समय में शहर इतना फैल जाएगा कि वह आस-पास की कृषि भूमि को भी अपने में समेट लेगा। उसने यह भी भविष्यवाणी की कि 2 से 5 एकड़ के जेन्टलमैन-साइज़ के फार्म हाउस की रिकॉर्डतोड़ माँग होने वाली है। ऐसे फ़ार्म हाउस, जिनमें बिज़नेसमैन या प्रोफेशनल व्यक्ति स्विमिंग पूल बनवा सकें, घोड़े रख सकें, बगीचा लगा सकें और दूसरी ऐसी ही शौकिया चीजें बनवा सकें।

           "इस आदमी की बातें सुनकर मुझे प्रेरणा मिली। उसने जिस तरह के फार्म हाउस का ज़िक्र किया था, में भी उसी तरह का फ़ार्म हाउस तलाश रहा था। अगले कुछ दिनों तक मैंने अपने कई दोस्तों से पूछा कि किसी दिन 5 एकड़ की एस्टेट के मालिक बनने के बारे में उनका क्या विचार है। हर एक को यह विचार बहुत पसंद आया।

           “मैं इस बारे में लगातार सोचता रहा और खुद से यह सवाल पूछता रहा कि मैं इस विचार को किस तरह फ़ायदेमंद बिज़नेस में बदल सकता हूँ। फिर एक दिन जब मैं नौकरी पर जा रहा था, तो अचानक मेरे दिमाग़ में जवाब कौंध गया। क्यों न एक फ़ार्म ख़रीदा जाए और इसे छोटे एस्टेट में बाँट दिया जाए? इस तरह मुझे ज़मीन सस्ते भाव में मिल सकती थी और मैं एस्टेट को महँगे दामों में बेच सकता था।

           “शहर से बाईस मील दूर मुझे 50 एकड़ का फ़ार्म 8,500 डॉलर में मिल गया। मैंने उसे खरीद लिया और ख़रीदते समय केवल एक तिहाई नक़द दिया और बाक़ी रक़म की क़िस्तें बाँध लीं।"

            "फिर जहाँ पेड़ नहीं थे, वहाँ मैंने चीड़ के वृक्ष रोप दिए। मैंने ऐसा किया क्योंकि मुझे किसी रियल एस्टेट बिज़नेस के आदमी ने यह बताया था, 'लोग आजकल पेड़ पसंद करते हैं, बहुत सारे पेड़ हों तो और भी अच्छी बात है।'

      "मैं अपने संभावित ग्राहकों को यह दिखाना चाहता था कि आज से कुछ साल बाद उनके एस्टेट में ढेर सारे चीड़ के सुंदर वृक्ष लगे होंगे।

        "फिर मैंने एक सर्वेयर को बुलाकर उस 50 एकड़ के फ़ार्म को 5 एकड़ के दस फार्म हाउस में बाँट दिया।

         “अब मैं फ़ार्म हाउस बेचने के लिए तैयार था। मैंने शहर में कई यवा एक्जीक्यूटिज़ के नाम-पते लिए और छोटे पैमाने पर सबको सीधे चिट्ठियाँ लिखीं। मैंने बताया कि किस तरह सिर्फ 3,000 डॉलर में, जिसमें शहर में एक छोटा-सा प्लॉट ही मिल पाएगा, वे शहर से थोड़ी-सी दूर पर एस्टेट खरीद सकते हैं। मैंने उन्हें मनोरंजन और स्वास्थ्यप्रद जीवन की संभावना के बारे में भी बताया।

          "छह हफ्तों में ही, केवल शाम को और सप्ताहांत में काम करके, मैंने सभी 10 फ़ार्म हाउस बेच दिए। कुल आमदनी हुई 30,000 डॉलर। कुल ख़र्च, जिसमें ज़मीन, विज्ञापन, सर्वेइंग और क़ानूनी ख़र्च शामिल था- 10,400 डॉलर। और लाभ 19,600 डॉलर।

           "मुझे इतना फ़ायदा इसलिए हुआ क्योंकि मैंने दूसरे समझदार लोगों के विचारों से लाभ उठाया। अगर मैं रियल एस्टेट के लोगों के साथ लंच में नहीं जाता, क्योंकि वे मेरे व्यवसाय से जुड़े लोग नहीं थे, तो मेरे दिमाग़ में मुनाफ़ा कमाने की यह सफल योजना आ ही नहीं सकती थी।"

         मानसिक उत्प्रेरण हासिल करने के कई तरीके होते हैं, परंतु यहाँ पर दो तरीके दिए जा रहे हैं जिन्हें आप अपने जीवन में उतार सकते हैं।

पहला तरीक़ा यह है कि आप कम से कम एक ऐसे प्रोफेशनल समूह से जुड़ें, जो आपके व्यवसाय से संबंधित हो। सफलता की चाह रखन वाले लोगों के साथ मिले-जुलें, उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान करें। कितनी बार हम किसी को यह कहते सुनते हैं, “आज मीटिंग में मुझे यह। बढ़िया विचार मिला,” या “कल की मीटिंग में मैंने यह सोचा..." याद रख, वह दिमाग जो केवल अपने ही बनाए हुए भोजन पर जिंदा रहता है, जल्दा ही कुपोषण का शिकार हो जाता है, कमज़ोर हो जाता है और रचनात्मक, प्रगतिशील विचारों को विचारों को सोचने में असमर्थ हो जाता है। दूसरों के विचारों से प्रेरित होना आपके मस्तिष्क के लिए उत्तम आहार साबित होता है।

           दूसरी बात, अपने व्यवसाय के बाहर के कम से कम किसी एक समूह अपने व्यवसाय के बाहर के लोगों से मिलने से आपकी सोच व्यापक है और आप बड़ी तस्वीर देख पाते हैं। आप यह जानकर हैरान होंगे आपके व्यवसाय के बाहर के लोगों से नियमित रूप से मिलने से आपकी नौकरी पर भी सकारात्मक असर होता है।

           विचार आपकी सोच के फल हैं। परंतु उनका दोहन करना पड़ता है और तभी उनका मूल्य होता है।

           हर साल बलूत का पेड़ इतने फल गिराता है कि अगर सभी बीज उग जाएँ तो एक अच्छा-खासा जंगल तैयार हो जाए। परंतु इन बीजों में से शायद एक या दो बीज ही उग पाते हैं। ज्यादातर बीज गिलहरियाँ खा जाती हैं और पेड़ के नीचे की ज़मीन इतनी सख़्त होती है कि बचे हुए बीज उस पर उग ही नहीं पाते।

           ऐसा ही विचारों के साथ होता है। केवल कुछ ही विचारों के फल मिल पाते हैं। विचार बहुत जल्दी नष्ट होने वाले बीज हैं। अगर हम रखवाली न करें, तो गिलहरियाँ (नकारात्मक रूप से सोचने वाले लोग) हमारे ज्यादातर विचारों को नष्ट कर देंगी। विचार जब पैदा होते हैं, तभी
से उनकी खास देखभाल करनी होती है। और तब तक करनी होती है जब तक कि वे बड़े न हो जाए और उनमें फल न लगने लगें। अपने विचारों के दोहन के लिए और उन्हें विकसित करने के लिए इन तीन तरीकों का प्रयोग करें :

1. विचारों को बच निकलने का मौक़ा न दें। उन्हें लिख लें। हर दिन आपके दिमाग में बहुत से अच्छे विचार आते हैं, परंतु वे जल्दी ही मर जाते हैं क्योंकि आपने उन्हें कागज़ पर नहीं लिखा है और आप कुछ समय बाद उन्हें भूल जाते हैं। नए विचारों की पहरेदारी के लिए याददाश्त एक कमज़ोर चौकीदार है। अपने पास नोटबुक या डायरी रखें। जब भी आपके दिमाग में कोई अच्छा विचार आए, उसे लिख लें। यात्रा करने का शाकान मेरा एक दोस्त अपने साथ एक डायरी रखता है जिस पर वह अपने विचार तत्काल लिख लेता है। रचनात्मक मस्तिष्क वाले मनुष्य जानते हैं कि अच्छा विचार कभी भी, कहीं भी आ सकता है। विचारों को निकल भागने का मौक़ा न दें; अन्यथा आप अपने विचार के फल नष्ट कर लेंगे। उन्हें बाँधकर रखें।

           2. इसके बाद, अपने विचारों का अवलोकन करें। इन विचारों को एक फ़ाइल में लगा लें। यह फ़ाइल बड़ी हो सकती है या फिर छोटी फ़ाइल से भी काम चल सकता है। परंतु फ़ाइल ज़रूर बनाएँ और इसके बाद आप अपने विचारों का नियमित रूप से विश्लेषण करें। जब आप इन विचारों का अवलोकन करेंगे तो आपको कुछ विचार बेकार या महत्वहीन लगेंगे। उन्हें बाहर निकाल दें। परंतु जब तक आपको कोई विचार दमदार लगता है, उसे अंदर ही रहने दें।

         3. अपने विचार को विकसित करें। इसे फलने-फूलने दें। इसके बारे में सोचते रहें। इस विचार को इससे संबद्ध विचारों के साथ बाँध दें। अपने विचार से संबंधित सामग्री पढ़ते रहें। सभी पहलुओं की जाँच कर लें। फिर जब समय आए, तो काम में जुट जाएँ और अपनी नौकरी, अपने भविष्य को सुधारने के लिए इसका उपयोग करें।

         जब किसी आर्किटेक्ट के मन में नई इमारत का विचार आता है, तो वह एक शुरुआती ड्राइंग बनाता है। जब एड्वर्टाइज़िंग के किसी रचनात्मक व्यक्ति के दिमाग़ में नए टीवी विज्ञापन का विचार आता है तो वह इसे स्टोरीबोर्ड फॉर्म में लिख लेता है और ऐसी ड्रॉइंग बना लेता है जिनसे यह पता चलता है कि पूरा होने के बाद यह विचार किस तरह दिखेगा। विचारों वाले लेखक पहला ड्राफ्ट तैयार करते हैं।

            नोट : अपने विचार को काग़ज़ पर आकार दें। यह दो कारणों से ज़रूरी है। जब विचार निश्चित आकार ले लेता है, तो आप इसका पूरी तरह अध्ययन कर सकते हैं, इसकी कमियाँ देख सकते हैं, इसे बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके अलावा, विचार किसी आर । को “बेचे" जाने होते हैं - ग्राहक, कर्मचारियों, बॉस, दोस्तों, साथी क्लब के सदस्यों, निवेशकों इत्यादि को। कोई न कोई तो होना चाहिए जो आपका विचार ख़रीदे, अन्यथा आपके विचार का कोई मूल्य नहीं है।

          एक बार दो जीवन बीमा सेल्समैन मुझसे मिले। दोनों ही मेरा बीमा करना चाहते थे। दोनों ने ही मुझसे वादा किया कि वे नई बीमा पॉलिसी के साथ मेरे पास आएँगे, जिसमें कुछ बदलाव किए गए थे। पहला सेल्समैन आया और उसने मुझे मुँहज़बानी योजना बता दी। जो मैं चाहता था. उसने मुझे शब्दों के माध्यम से समझा दिया। परंतु मैं उसकी बात पूरी तरह से समझ नहीं पाया। उसने टैक्स, ऑप्शन्स, सोशल सिक्युरिटी और बीमा योजना के सारे तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से रोशनी डाली, परंतु मेरे पल्ले कुछ नहीं पड़ा और अंततः मुझे उसे मना करना पड़ा।

            दूसरे सेल्समैन ने एक अलग शैली का इस्तेमाल किया। उसने अपनी अनुशंसाओं को चार्ट के माध्यम से लिखकर प्रस्तुत किया। सारे डीटेल्स डायग्राम में दिए गए थे। मुझे उसका प्रस्ताव आसानी से समझ में आ गया क्योंकि मैं उसे साफ़ देख सकता था। मैंने उससे बीमा करवा लिया।

       अपने विचारों को बेचे जाने वाले रूप में तैयार करें। मौखिक विचार के बजाय लिखित विचार या डायग्राम के रूप में प्रस्तुत विचार को बेचना कई गुना ज्यादा आसान होता है।

  संक्षेप में, इन उपायों का प्रयोग करें और रचनात्मक तरीके से सोचें

         1. विश्वास करें कि काम किया जा सकता है। जब आप यह विश्वास करते हैं कि आप कोई काम कर सकते हैं, तो आपका दिमाग़ उसे करने के तरीके ढूँढ ही लेगा। इसका कोई रास्ता है, यह सोचने भर से रास्ता निकालना आसान हो जाता है।

          अपनी सोचने और बोलने की शब्दावलियों से “असंभव", "यह काम नहीं करेगा,” “मैं यह नहीं कर सकता,” “कोशिश करने से कोई फ़ायदा नहीं" जैसे वाक्य निकाल दें।

           2. परंपरा को अपने दिमाग को कमज़ोर न बनाने दें। नए विचारों को स्वीकार करें। प्रयोगशील बनें। नई शैलियों को आज़माएँ। अपने हर काम में प्रगतिशील रहें।

          3. अपने आपसे हर रोज़ पूछे, “मैं इसे किस तरह बेहतर तरीके से कर सकता हूँ?" आत्म-सुधार की कोई सीमा नहीं है। जब आप खुद से पूछते हैं, “मैं किस तरह बेहतर कर सकता हूँ" तो अच्छे जवाब अपने आप उभरकर सामने आएँगे। कोशिश करें और देखें।

         4. खुद से पूछे, “मैं यह काम और ज्यादा किस तरह कर सकता हूँ ?" काम करने की क्षमता एक मानसिक अवस्था है। जब आप खुद से यह सवाल पूछेगे तो आपके दिमाग में अच्छे शॉर्टकट अपने आप आ जाएँगे। बिज़नेस में सफलता का संयोग है : अपने काम को लगातार बेहतर तरीके से करते रहें (अपने काम की क्वालिटी सुधारें) और आप जितना पहले करते थे, उससे ज़्यादा करें (अपने काम की क्वांटिटी बढ़ाएँ)।

           5. पूछने और सुनने की आदत डालें। पूछे और सुनें और आपको सही निर्णय पर पहुँचने के लिए कच्चा माल मिल जाएगा। याद रखें : बड़े लोग लगातार सुनते हैं; छोटे लोग लगातार बोलते हैं।

           6. अपने मस्तिष्क को व्यापक बनाएँ। दूसरों के विचारों से प्रेरणा लें। ऐसे लोगों के साथ उठे-बैठें जिनसे आपको नए विचार, काम करने के नए तरीके सीखने को मिल सकते हों। अलग-अलग व्यवसायों और सामाजिक रुचियों वाले लोगों से मिलें।

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