Sunday, September 8, 2019

CHAPTER 4.2. यह न देखें कि क्या है, यह देखें कि क्या हो सकता है

       यह न देखें कि क्या है, यह देखें कि क्या हो सकता है


बड़े चिंतक सिर्फ यही नहीं देखते कि क्या है, वे यह भी देख सकते हैं कि क्या हो सकता है। यहाँ पर चार उदाहरण दिए जा रहे हैं कि ऐसा किस तरह किया जा सकता है।

           1. रियल एस्टेट की कीमत कैसे बढ़ती है? एक बेहद सफल रिएल्टर, जो ग्रामीण इलाके की जायदाद का विशेषज्ञ है, का कहना है कि अगर हम भविष्य की कल्पना कर सकें, तो इससे हमें बहुत लाभ हो सकता है। जहाँ आज कुछ नहीं है, वहाँ कल क्या हो सकता है, इस बात की कल्पना करना हमें सीखना चाहिए।

            मेरे दोस्त ने कहा, "ग्रामीण इलाक़ा होने के कारण यहाँ ज्यादातर ज़मीन-जायदाद बहुत आकर्षक नहीं होती। मैं इसलिए सफल हुआ हूँ क्योंकि मैं अपने ग्राहकों को यह नहीं बताता कि उनके फ़ार्म की हालत अभी कैसी है।

         "मैं अपने पूरे सेल्स प्लान को इस बात के चारों तरफ़ बनाता हूँ कि यह फ़ार्म भविष्य में क्या बन सकता है। ग्राहक को अगर मैं सीधे तरीके से यह बताऊँ, 'इस फ़ार्म में इतने एकड़ जमीन, इतने एकड़ पेड़ हैं और यह शहर से इतने मील दूर है' तो इससे वह उत्साहित नहीं होगा और इसे कभी नहीं ख़रीदेगा। परंतु जब मैं उसे एक ऐसी योजना बताता हूँ कि वह इस फ़ार्म पर क्या-क्या कर सकता है, तो वह इस फ़ार्म को खुशी-खुशी खरीद लेता है। मैं आपको बताता हूँ कि मैं ऐसा किस तरह करता हूँ।"

            उसने अपना ब्रीफ़केस खोला और एक फ़ाइल निकाली। “यह फ़ार्म," उसने कहा, "अभी-अभी हमारे पास आया है। यह भी बाक़ी फ़ार्मों की तरह है। यह शहर से 43 मील की दूरी पर है। इसका घर टूटी-फूटी हालत में है और पिछले पांच साल से यहाँ खेती नहीं हुई है। अब मैं आपको यह बताता हूँ कि मैंने क्या किया है। मैंने इस जगह का पूरा अध्ययन करने के लिए पिछले सप्ताह यहाँ दो दिन गुज़ारे। मैंने इस पूरी जगह के कई चक्कर लगाए। मैंने पड़ोसी फ़ार्मों को भी देखा। मैंने वर्तमान और प्रस्तावित हाइवे प्लान के संदर्भ में भी फ़ार्म की लोकेशन को देखा। मैंने खुद से पूछा, 'यह फ़ार्म किस बड़े काम के लिए उपयुक्त है ?'

             "मुझे इसमें तीन संभावनाएँ दिखीं। मैंने तीनों की योजना बना ली।" उसने मुझे हर योजना दिखाई। हर योजना स्पष्ट थी और विस्तार से बनी थी। एक प्लान में सुझाव दिया गया था कि फ़ार्म को घुड़सवारी के अस्तबल में बदल दिया जाए। इस प्लान में बताया गया था कि विचार दमदार है : शहर बढ़ रहा है, लोग गाँव को ज्यादा पसंद करने लगे हैं,लोग मनोरंजन पर ज्यादा ख़र्च करने लगे हैं, सड़कें अच्छी हैं। इस पर में बताया गया था कि किस तरह यहाँ पर काफ़ी घोड़े रखे जा सकते है जिससे घुड़सवारी से काफ़ी आमदनी की जा सकती है। घुड़सवारी के अस्तबल का विचार काफ़ी अच्छा और प्रेरक था। योजना को स्पष्ट विस्तृत और दमदार होना चाहिए, मैं "देख" सकता था कि पेड़ों के बीच से गुज़रते हुए एक दर्जन दंपति घुड़सवारी का आनंद ले रहे थे।'

           इसी तरीके से इस मेहनती सेल्समैन ने दूसरी विस्तृत योजना बनाई कि किस तरह इसे वृक्षों के फ़ार्म में बदला जा सकता है और तीसरी योजना थी कि यहाँ पर वृक्षों के फार्म के साथ-साथ पोल्ट्री फार्म भी शुरू किया जा सकता है।

           “अब, जब मैं अपने ग्राहकों से चर्चा करता हूँ तो मुझे उन्हें यह विश्वास नहीं दिलाना होता कि इसकी वर्तमान हालत में इस फ़ार्म को ख़रीदना एक अच्छा सौदा है। मैं उन्हें एक ऐसी तस्वीर दिखाता हूँ जिसमें फ़ार्म पैसा बनाने वाला व्यवसाय बन जाता है।

           “इससे मैं न सिर्फ़ ज़्यादा फ़ार्म बेच सकता हूँ और ज़्यादा तेज़ी से बेच सकता हूँ, बल्कि जायदाद बेचने के मेरे तरीके का एक और फायदा भी है। मैं अपने प्रतियोगियों से ज्यादा कीमत पर फ़ार्म बेच सकता हूँ। लोग ज़मीन और एक विचार के लिए जो क़ीमत देते हैं वह सिर्फ़ ज़मीन के लिए दी गई क़ीमत से स्वाभाविक तौर पर ज़्यादा होती है। इसी कारण ज़्यादातर लोग अपने फ़ार्मों को मेरे यहाँ से बेचना चाहते हैं और हर बिक्री पर मेरा कमीशन बढ़ता जाता है।'

          इसका संदेश यह है : वर्तमान में चीजें कैसी हैं, यह देखने के बजाय यह देखें कि वे भविष्य में कैसी हो सकती हैं। कल्पनाशक्ति से हर चीज़ ज़्यादा कीमती बन जाती है। बड़ा चिंतक हमेशा इस बात की कल्पना कर लेता है कि भविष्य में क्या किया जा सकता है। वह केवल वर्तमान में ही नहीं उलझा रहता।

         2. एक ग्राहक का कितना मूल्य होता है? एक डिपार्टमेंट स्टोर एक्जीक्यूटिव मैनेजरों की मीटिंग को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, “हालाँकि मेरे विचार आपको पुराने जमाने के लगेंगे, परंतु मैं उस विचारधारा की है कि अगर आप अपने ग्राहकों से दोस्ताना, शालीन व्यवहार करेंगे तो वे बार-बार आपके पास आएंगे। एक दिन मैं अपने स्टोर में घूम रही थी। मैंने अपने सेल्समैन को एक ग्राहक से बहस करते सुना। ग्राहक गुस्से में बाहर चला गया।

         "इसके बाद, सेल्समैन ने दूसरे सेल्समैन से कहा, 'मैं 1.98 डॉलर के ग्राहक के पीछे अपना समय क्यों ख़राब करूँ। उसकी ज़रूरत के सामान के लिए पूरे स्टोर को क्यों छायूँ ? वह इस काबिल ही नहीं है।"

           “मैं वहाँ से चली आई," एक्जीक्यूटिव ने कहा, “परंतु मैं अपने दिमाग़ से उस बात को नहीं निकाल पाई। मैंने सोचा कि यह बहुत गंभीर मामला है जब हमारे सेल्समैन अपने ग्राहकों को 1.98 की श्रेणी में रखते हैं। मैंने तभी यह फैसला किया कि सोच के इस ढंग को बदलना होगा। जब मैं वापस अपने ऑफ़िस में पहुंची, तो मैंने अपने रिसर्च डायरेक्टर को बुलाया और उससे पूछा कि हमारे स्टोर में पिछले साल औसत ग्राहक ने कितने पैसे का माल ख़रीदा। उसने मुझे जो आँकड़ा बताया, उससे मुझे भी हैरत हुई। हमारे रिसर्च डायरेक्टर के आँकड़ों के हिसाब से औसत ग्राहक ने हमारे स्टोर से 362 डॉलर का सामान खरीदा।

          "इसके बाद मैंने अपने सुपरवाइज़र्स की मीटिंग बुलाई और उन्हें यह घटना बताई। फिर मैंने उन्हें यह बताया कि हमारे ग्राहक का मूल्य वास्तव में कितना है। एक बार मैंने जब इन लोगों को यह समझा दिया कि किसी ग्राहक को एक बार की खरीदारी के हिसाब से नहीं तौलना चाहिए बल्कि सालाना खरीदारी के हिसाब से तौलना चाहिए, तो हमारे स्टोर में ग्राहकों के प्रति दृष्टिकोण पूरी तरह बदल गया।”

         रिटेलिंग एक्जीक्यूटिव की यह बात किसी भी तरह के बिज़नेस पर लागू होती है। बार-बार के बिज़नेस में लाभ होता है। अक्सर, कई धंधों में शुरुआत में तो कोई लाभ ही नहीं होता। ग्राहकों की भविष्य की खरीद को देखें, यह न देखें कि वे वर्तमान में क्या खरीद रहे हैं।

         ग्राहकों को मूल्यवान समझने से वे बड़े, नियमित संरक्षकों में बदल जाते हैं। ग्राहकों को तुच्छ समझने से वे किसी दूसरी जगह से सामान खरीदने लगते हैं। एक विद्यार्थी ने एक बार मुझे यह महत्वपूर्ण घटना सुनाई और बताया कि वह एक रेस्तराँ में कभी नाश्ता क्यों नहीं करता |

          "एक दिन लंच के लिए,” विद्यार्थी ने कहा, “मैंने एक नए रेस्त में जाने का फैसला किया। यह रेस्तराँ दो सप्ताह पहले ही खुला था। और लिए अभी पैसा बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए मैं सुनिश्चित कर लेता हैं कि मैं जो खरीद रहा हूँ, उसकी कीमत क्या है। मीट सेक्शन के पास से गुज़रते समय मैंने टर्की को देखा और उस पर कीमत डली थी 39 सेंट।

            "जब मैं कैश रजिस्टर के पास गया, तो चेकर ने मेरी ट्रे को देखा और कहा “1.09' मैंने विनम्रता से उससे दुबारा चेक करने को कहा. क्योंकि मेरे हिसाब से बिल 99 सेंट का होना चाहिए था। मेरी तरफ़ घूरने के बाद उसने फिर से हिसाब जोड़ा। हिसाब में जो अंतर आ रहा था वह टर्की की कीमत के कारण था। उसने 39 सेंट की जगह मुझसे 49 सेंट लिए थे। फिर मैंने उसका ध्यान उस साइनबोर्ड की तरफ़ खींचा जिसमें लिखा हुआ था 39 सेंट।

            "इससे वह भड़क गई। 'मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि साइनबोर्ड पर क्या लिखा है। इसका दाम है 49 सेंट। देखिए। यह रही आज की मूल्य सूची। किसी ने शायद ग़लती से वहाँ पर साइनबोर्ड लगा दिया होगा। आपको 49 सेंट ही देने होंगे।'

            "फिर मैंने उसे यह समझाने की कोशिश की कि मैंने टर्की ली ही इसलिए थी क्योंकि इसका मूल्य 39 सेंट था। अगर इसका मूल्य 49 सेंटहोता तो मैं इसकी जगह कोई दूसरी चीज़ ले लेता।

           "इसके बाद भी उसका जवाब था, 'चाहे जो हो, आपको 49 सेंट देने होंगे।' मैंने ऐसा ही किया क्योंकि मैं वहाँ खड़े रहकर तमाशा खड़ा नहीं करना चाहता था। परंतु मैंने उसी समय यह फैसला भी कर लिया कि मैं दुबारा उस रेस्तराँ में नहीं जाऊँगा। मैं हर साल लंच पर 250 डॉलर। खर्च करता हूँ और यह बात तो पक्की है कि मैं उस रेस्तराँ में एक पाई भी ख़र्च नहीं करूँगा।"

          यह छोटे नज़रिए का एक उदाहरण है। चेकर ने कीमत काछोटा-सा अंतर ही देखा, उसने संभावित 250 डॉलर की सेल नहीं देखी |

         3. अंधे दूध वाले का मामला। हैरत की बात है कि लोग किस तरह भावी संभावना के प्रति अंधे होते हैं। कुछ साल पहले एक युवा दूध वाला हमारे घर पर दूध के बिज़नेस के सिलसिले में आया। मैंने उसे समझाया कि हमारा दूध वाला अच्छा दूध देता है और हम उसकी सेवाओं से संतुष्ट हैं। फिर मैंने उसे सुझाव दिया कि वह पड़ोस की महिला से पूछ ले।

           इसके जवाब में उसने कहा, “मैंने पड़ोस की महिला से पहले ही बात कर ली है, परंतु वे लोग दो दिन में एक क्वार्ट दूध ही लेते हैं और मैं इतनी कम रक़म के लिए यहाँ रुकूँ यह फ़ायदे का सौदा नहीं होगा।"

           "शायद आपकी बात सही हो,” मैंने कहा, “परंतु जब आप मेरी पड़ोसन से बात कर रहे थे, तो आपने यह नहीं देखा कि उस घर में दूध की माँग एक-दो महीने में बढ़ने वाली है? उनके यहाँ बच्चा पैदा होने वाला है, जो निश्चित रूप से काफ़ी दूध पिएगा।"

           उस युवक ने मेरी तरफ़ ऐसे देखा जैसे उसे घुसा मार दिया गया हो और फिर उसने कहा, “कोई इंसान कितना अंधा हो सकता है ?"

           कभी जो परिवार दो दिन में एक क्वार्ट दूध खरीदता था, आज वही परिवार दो दिन में 7 क्वार्ट दूध ख़रीदता है, परंतु वह दूध वाला भविष्यदर्शी नहीं था। उस छोटे बच्चे के अब दो छोटे भाई और एक छोटी बहन और हो चुके हैं। और मुझे जानकारी मिली है कि उनके यहाँ एक और बच्चा पैदा होने वाला है।

           हम कितने अंधे हो सकते हैं? इसलिए यह देखें कि क्या हो सकता है, सिर्फ यही न देखें कि क्या है।

           जो स्कूल टीचर जिमी के सिर्फ़ वर्तमान व्यवहार के बारे में सोचेगा वह यही सोचेगा कि जिमी बदतमीज़, पिछड़ा और गँवार है। परंतु अगर टीचर ऐसा सोचेगा तो इससे जिमी का विकास नहीं हो पाएगा। परंतु जो टीचर जिमी की संभावनाओं को देख सकेगा वही उसका विकास कर पाएगा।

          ज़्यादातर लोग 'स्किड रो' से गुज़रते समय केवल हारे हुए शराबियों को देख पाते हैं। परंतु कुछ निष्ठावान लोग 'स्किड रो' से गुज़रते समय एक सुधरे हुए नागरिक की संभावना को भी देख सकते हैं। और चूंकि वे भविष्य की संभावना को देख पाते हैं, इसलिए वे यहाँ पर एक सफल सुधार कार्यक्रम शुरू कर पाते हैं।

           4. कौन सी चीज़ आपका मूल्य तय करती है ? कुछ सप्ताह पहले एक प्रशिक्षण सत्र के बाद एक युवक मुझसे मिलने आया और उसने मुझसे कहा कि वह मेरे साथ कुछ मिनट बात करना चाहता है। मैं इस युवक को जानता हूँ। इसकी उम्र अभी 26 साल है और यह बहुत ही गरीब घर से आया था। इसके अलावा मैं यह भी जानता था कि इसके शुरुआती वयस्क जीवन में इस पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा था। मैं यह भी जानता था कि वह ठोस भविष्य के लिए खुद को तैयार करने का सच्चा प्रयास कर रहा था।

            कॉफ़ी पीते हुए हमने उसकी तकनीकी समस्या का हल ढूँढ लिया और फिर हमारी चर्चा इस तरफ़ मुड गई कि किस तरह गरीब लोग भविष्य के प्रति आशावादी नज़रिया रख सकते हैं। उसकी बातों ने इस सवाल का सीधा और बढ़िया जवाब दे दिया।

             “मेरे पास बैंक में 200 डॉलर हैं। क्लर्क की मेरी नौकरी में तनख्वाह ज़्यादा नहीं है और न ही यह कोई ज़िम्मेदारी वाली नौकरी है। मेरी कार चार साल पुरानी है और मैं अपनी पत्नी के साथ दूसरी मंज़िल के एक छोटे-से अपार्टमेंट में रहता हूँ।

             “परंतु, प्रोफ़ेसर,” उसने कहा, "मैंने तय कर लिया है कि मेरे पास जो नहीं है, उसे मैं अपनी राह में बाधा नहीं बनने दूंगा।"

            मैं उसकी बात पूरी तरह नहीं समझ पाया इसलिए मैंने उसे विस्तार से उसका पूरा मतलब समझाने के लिए कहा।

            “देखिए,” उसने कहा, “मैं काफ़ी समय से लोगों का अध्ययन कर रहा हूँ और मैंने यह पाया है : जो लोग गरीब होते हैं वे अपने वर्तमान को देखते हैं। वे सिर्फ अपने वर्तमान को ही देख पाते हैं। वे भविष्य को नहीं देख पाते, वे सिर्फ अपने घटिया वर्तमान को ही देख पाते हैं। 

             “मेरे पड़ोसी का उदाहरण लें। वह लगातार रोता रहता है कि उसकी तनख्वाह कम है, उसकी छत लगातार टपकती रहती है, प्रमोशन किसी दूसरे व्यक्ति को मिल जाते हैं, डॉक्टर के बिल लगातार बढ़त जा रहे हैं। वह लगातार खुद को याद दिलाता रहता है कि वह गरीब है और इसलिए वह यह मान लेता है कि वह हमेशा ग़रीब ही बना रहेगा। वह इस तरह व्यवहार कर रहा है जैसे उसे जिंदगी भर उसी टूटे-फूटे अपार्टमेंट में रहने की सज़ा मिली हो।"

            मेरा दोस्त अपने दिल की बात बोल रहा था और एक पल रुकने के बाद उसने आगे कहा, “अगर मैं अपने वर्तमान की तरफ़ देखें - पुरानी कार, कम तनख्वाह, सस्ता अपार्टमेंट और हैमबर्गर का भोजन - तो मैं भी जल्दी ही निराश हो जाऊँगा। मैं देखूगा कि मेरी हस्ती कुछ नहीं है और मैं जिंदगी भर बिना हस्ती वाला आदमी बना रहूँगा।

            "परंतु मैं अपने भविष्य की कल्पना करता हूँ। मैं यह देखता हूँ कि मैं कुछ साल बाद क्या बन सकता हूँ। मैं अपने आपको क्लर्क के रूप में नहीं देखता, बल्कि एक्जीक्यूटिव के रूप में देखता हूँ। मैं अपने छोटे अपार्टमेंट को नहीं देखता हूँ, बल्कि मैं बढ़िया नए उपनगरीय घर को देखता हूँ। और जब मैं अपने भविष्य को इस तरह से देखता हूँ तो मैं ज़्यादा बड़ा अनुभव करता हूँ और बड़ा सोच पाता हूँ। और मेरे पास
इस बात का बहुत अनुभव है कि इससे फायदा होता है।"

           क्या यह खुद को मूल्यवान बनाने की बढ़िया योजना नहीं है ? यह युवक वास्तव में अच्छी जिंदगी की तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है। उसने सफलता के इस मूलभूत सिद्धांत को अपने जीवन में उतार लिया है : आपके पास क्या नहीं है, यह महत्वपूर्ण नहीं होता। इसके बजाय यह महत्वपूर्ण होता है कि आपके पास भविष्य में क्या होगा।

            दुनिया हम पर कीमत का जो टैग लगाती है वह उस टैग के अनुरूप ही होता है जो हम खुद पर लगाते हैं।

             यहाँ आपको यह बताया जा रहा है कि आप किस तरह अपने भविष्य की शक्ति को विकसित कर सकते हैं, यानी आप अपनी संभावनाओं को किस तरह देख सकते हैं। मैं इन्हें “मूल्य बढ़ाने वाले अभ्यास" कहता हूँ।

              1. चीज़ों का मूल्य बढ़ाने का अभ्यास करें। रियल एस्टेट का उदाहरण याद करें। खुद से पूछे, “किस तरह मैं इस कमरे या इस घर या इस बिज़नेस का मूल्य बढ़ा सकता हूँ?" चीज़ों का मूल्य बढ़ाने के लिए विचार खोजें। कोई भी चीज़ चाहे वह खाली प्लॉट हो, घर हो या बिजनेसहो, उसका मूल्य वही होता है जो उसके प्रयोग के विचार में छुपा होता है।

           2. लोगों का मूल्य बढ़ाने का अभ्यास करें। जब आप सफलता ही दनिया में ऊपर और ऊपर जाएँगे तो आपके पास ज़्यादातर काम “लोगों का विकास” करना होगा। खुद से पूछे, “मैं किस तरह अपने अधीनस्थों का 'मूल्य बढ़ा सकता हूँ?' मैं किस तरह उन्हें ज़्यादा प्रभावी बना सकता हूँ?" याद रखें, किसी व्यक्ति से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने के लिए आपको उसकी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं की कल्पना करनी होती है।

            3. खुद का मूल्य बढ़ाने का अभ्यास करें। खुद के साथ हर रोज़ एक इंटरव्यू रखें। खुद से पूछे, “आज मैं अपने आपको अधिक मूल्यवान बनाने के लिए क्या कर सकता हूँ?" अपने मूल्य की कल्पना अपने वर्तमान से न करें, इस बात से न करें कि आप आज क्या हैं, बल्कि अपने मूल्य की कल्पना अपने भविष्य से करें, इस बात से करें कि आप क्या बन सकते हैं। फिर उस संभावित मूल्य को हासिल करने के तरीके अपने आप आपके दिमाग में आ जाएँगे। कोशिश करके देखें।

मध्यम आकार की प्रिंटिंग कंपनी (60 कर्मचारी) के रिटायर्ड मालिक-मैनेजर ने मुझे बताया कि उसने अपना उत्तराधिकारी कैसे चुना।

           “पाँच साल पहले,” उसने कहा, “मुझे अकाउंटिंग और ऑफ़िस के बाक़ी काम के लिए अकाउंटेंट की ज़रूरत थी। मैंने हैरी नाम के 26 वर्षीय युवक को काम पर रख लिया। उसे प्रिंटिंग बिज़नेस की कोई समझ नहीं थी, परंतु उसके रिकॉर्ड से पता चलता था कि वह एक अच्छा अकाउंटेंट था। डेढ़ साल पहले जब मैं रिटायर हुआ तो हमने उसे अपनी कंपनी का प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर बना दिया।

             “जब मैं इस बारे में सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि हैरी में एक गुण। ऐसा था जो उसे बाक़ी सब लोगों से आगे कर देता था। हैरी पूरी कपना। में गंभीरता से सच्ची रुचि लेता था। वह सिर्फ चेक नहीं लिखता था, वह। सिर्फ रिकॉर्ड नहीं रखता था। जब भी वह देखता था कि वह बाकी । कर्मचारियों की मदद कर सकता था, वह तत्काल काम में जुट जाता था|

             "हेरी के आने के एक साल के भीतर हमारे कुछ कर्मचारा चल गए। हैरी मेरे पास एक फ्रिज-बेनिफ़िट प्रोग्राम लेकर आया और उसका कहना था कि इससे लागत कम आएगी। और इससे सचमुच लाभ हुआ।

           “हैरी ने और भी कई काम किए जिनसे सिर्फ उसके विभाग को नहीं, बल्कि पूरी कंपनी को फायदा हुआ। उसने हमारे उत्पादन विभाग का लागत अध्ययन तैयार किया और बताया कि किस तरह 30,000 डॉलर की नई मशीनों में निवेश करके हम ज्यादा लाभ कमा सकते हैं। एक बार हमारा माल नहीं बिक पा रहा था। हैरी हमारे सेल्स मैनेजर के पास गया और उनसे इस तरह की बात कही, 'मैं सेल्स के बारे में तो नहीं जानता, परंतु मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूँगा।' और उसने ऐसा ही किया। हैरी के दिमाग़ में कई अच्छे विचार थे जिनकी वजह से हमारी बिक्री बढ़ गई।

           “जब भी कोई नया कर्मचारी कंपनी में आता था, हैरी उस आदमी की काफ़ी मदद करता था। हैरी पूरी कंपनी में सच्ची रुचि लेता था।

       “जब मैं रिटायर हुआ, तो हैरी ही मेरा उत्तराधिकारी बनने लायक था।

            “परंतु मुझे ग़लत मत समझना," मेरे दोस्त ने कहा, "हैरी ने उत्तराधिकारी बनने के लिए कोई कोशिश नहीं की। वह किसी के काम में अडंगा नहीं लगाता था। वह नकारात्मक रूप से आक्रामक नहीं था। वह लोगों की पीठ पीछे बुराई नहीं करता था और वह ऑर्डर भी नहीं देता था। वह सिर्फ मदद करता था। हैरी इस तरह बर्ताव करता था जैसे कंपनी में होने वाली हर चीज़ से उसे फ़र्क पड़ता था। उसने कंपनी के बिज़नेस को अपना बिज़नेस मान लिया था।"

             हैरी के उदाहरण से हम भी सीख सकते हैं। "मैं अपना काम कर रहा हूँ और यही काफ़ी है" वाला रवैया छोटी, नकारात्मक सोच है। बड़े चिंतक अपने आपको टीम के सदस्य के रूप में देखते हैं और अकेले नहीं, बल्कि टीम के साथ जीतते या हारते हैं। वे जितनी मदद कर सकते हैं, करते हैं, चाहे इसके बदले में उन्हें कोई सीधा लाभ हो रहा हो या न हो रहा हो। वह आदमी जो अपने डिपार्टमेंट के बाहर की हर समस्या को यह कहकर टाल देता है, “इससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है, उसी डिपार्टमेंट के लोगों को इस बात की चिंता करने दो।" उसका रवैया उसे कभी लीडर नहीं बनवा सकता।

          इसका अभ्यास करें। बड़े चिंतक बनने का अभ्यास करें। कंपनी की रुचि को अपनी रुचि की तरह देखें। बड़ी कंपनियों में काम करने वाले बहुत कम लोग अपनी कंपनी में सच्ची, निःस्वार्थ रुचि लेते हैं। परंतु बहुत कम लोग ही बड़े चिंतक बनने के काबिल होते हैं। और इन्हीं थोड़े से लोगों को ज़्यादा ज़िम्मेदारी, ज्यादा तनख्वाह वाली नौकरियाँ दी जाती हैं।

          बहुत से लोग अपनी उपलब्धि की राह में छोटी, घटिया, महत्वहीन चीज़ों को बाधा बना लेते हैं। हम इन चार उदाहरणों को देखें :

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