Sunday, April 14, 2019

दूसरा चरण : लक्ष्य

                       दूसरा चरण : लक्ष्य
"यदि किसी व्यक्ति को यह पता नहीं है, कि वह किस बंदरगाह की ओर जाना चाहता है, तब हवा का कोई भी रूख उसके लिए अनुकूल नहीं होता .
                                                                                                                                                    - सेनेका



     जैसे-जैसे किसी व्यक्ति के अंदर अपने सपनों को हासिल करने की इच्छा तीव्र होती जाती है, वैसे-वैसे उसके सपने उसके लक्ष्यों में
रूपांतरित होते जाते हैं. इस इच्छा के लगातार चलते प्रवाह के कारण, उलझन भरे सपने भी निश्चित लक्ष्यों में बदल सकते हैं. वास्तव में लक्ष्य याने वो इच्छाएँ और सपने ही हैं, जिनपर हासिल करने की तारिख डाल दी गई है. उन्हें पाने के लिए निर्धारित समय के हिसाब से, हम उन्हें विभिन्न श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं, जैसे कि अल्प, मध्यम और दीर्घ समय में हासिल किए जानेवाले लक्ष्य .

               अल्प समय में हासिल करने योग्य लक्ष्य है:

          आनेवाले कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों में आप अपने जिन सपनों को पूरा करना चाहते हैं, उनके लिए आप अल्पावधि लक्ष्य बना सकते हैं।छोटी अवधि के इन लक्ष्यों को निर्धारित करते समय अपने आप से नीचे लिखे गए सवाल पूछिए.

1) दरअसल आप क्या बनना चाहते हैं, क्या करना चाहते हैं और क्या पाना चाहते हैं ?

2) उसके लिए आपको कितनी कीमत चुकानी पड़ सकती है ?

3) आप उसे कितनी जल्दी पाना चाहते हैं ?

       आपके सामने जो भी लक्ष्य हों, उन्हें वास्तविक रूप में महसूस कीजिए, उन्हें छू कर, लिख करके, उन्हें दुकानों में देखकर तथा उनक चित्रा ।को ऐसी जगह लगाकर, जहाँ वो आपको हरदम दिखायी देते रहे.

     मध्यावधि और दीर्घावधि लक्ष्य है

                  आनेवाले एक, दो या पांच सालों में आप अपने जिन सपनों को पूरा करना चाहते हैं, उनके लिए आप मध्यावधि या दीर्घावधि लक्ष्य बना। सकते हैं. इन लक्ष्यों को निर्धारित करते समय इन बातों का ख्याल रखिए.

1) आर्थिक विषयों में लचीलापन, कैरियर के विकल्प, स्वतंत्रता और स्वयं निर्धारित आमदनी के विषय में सोचते समय हमेशा बड़ा सोचिए.

2) आप इन लक्ष्यों को क्यों' पाना चाहते हैं ?

3) अपने लक्ष्यों तक पहुंच कर आपको कैसा महसूस होगा?

4) क्या आप वास्तव में गंभीर हैं और कितने गंभीर हैं ?

            यह आवश्यक है कि समयसमय पर अपने लक्ष्यों में सुधार करते रहना चाहिए, उन्हें पाने के लिए टाइमटेबल वनाइए, सभी लक्ष्यों को लिखकर उन्हें हमेशा अपनी नजरों के सामने ही रखिए. अपने कमरों की दीवारों, आइनों और फ़ीज़ इत्यादि पर उनको चिपका दीजिए, अपने जेब में रखी डायरी या प्लानर में भी इन्हें लिखकर रखिए, ताकि आप जब चाहें उन्हें देख सकें. हमेशा अपने लक्ष्यों को मन ही मन में पाया हुआ महसूस कीजिए, हासिल करने वाले लोगों में विशेषतौर पर यह बात होती है, कि वो अपने लक्ष्यों को निर्धारित करनेवाले होते हैं।

लक्ष्य निर्धारण के लिए दिशानिर्देश है:

1) लक्ष्य विशिष्ट होने चाहिए.

2)लक्ष्य लिखे हुए होने चाहिए.

3)आपके लक्ष्य वास्तविक होने चाहिए. इस बारे में अपनी अपलाइन से सलाह लीजिए।

4)हर लक्ष्य के साथ उसको पाने की एक निर्धारित तारीत होनी ही चाहिए।

5)अपने लक्ष्यों को हमेशा अपनी नज़रों के सामने रखिए. (तस्वीरों के रूप में फ्रीज, दीवार या आडने आदि पर ।

6) अपने लक्ष्यों में सुधार करत रिहए और समयानमार नए लक्ष्य बनाते रहिए ।

7) अपने लक्ष्यों को अल्पावधि, मध्यमावधि, तथा दीघावधि लक्ष्या में वांट दीजिए. (३-६ महिने याने अल्पावधि. १-२ साल याने मामावधि ।
और २-५ साल याने दीर्घावधि लक्ष्य .)

8) अगर आप विवाहित हैं, तो पतिपत्नी दोनों अपने सपनों की अलग सूची बनाइए, फिर इस योजना के लिए, एक दूसो की सहमति से, एक
अंतिम सूची बनाइए अव हर सपने के आगे हासिल करने की तारीख लिख लीजिए और साथ में पुरस्कार भी.

10) किसी लक्ष्य को प्राप्त करते ही, अपने आपको पुरस्कार अवश्य देना चाहिए.

पहला कदम :  आपको क्या चाहिए पहले ठान लीजिए.

यह पहला कदम बहुत ज़रूरी है.जब तक आप इस पहले कदम को सही तरीके से पूरा नहीं करते, तब तक बाकी योजना अर्थहीन है.अगर आप अपनी 'क्यों को ही नहीं जानते, तब 'कैसे' का मतलब ही नहीं रह जाता .

दूसरा कदम : 'प्लॅटिनम स्तर तक पहुंचने की एक स्पष्ट योजना बनाइए.

साथ में दिया गया टेवल इस योजना का एक हिस्सा है, जिसकी मदद से अगले साल में आप १0,000 पी. वी. के स्तर तक पहुँच सकते हैं. इस स्तर पर थोड़ा कम या ज्यादा समय में भी पहुंचा जा सकता है. आवश्यकतानुसार अपने पी.वी. के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आप स्वतंत्र हैं. हर लक्ष्य तक पहुँचने पर खुद को दिए जानेवाले पुरस्कार को
भी अवश्य लिख लीजिए.

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